Hindi, asked by gajananmunankar1, 5 months ago

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कहानी लेखन
एक व्यापारी का गाव गाव गाव धूमकर
व्यापार करना-एक बार आम के पेड़ के निचे
आराम करना- छोटे फूलों को देखकर ईश्वर की
बुद्धी पर हँसना- अचानक एक फल उसके सिर
गाउपर गिरना-अपनी भूल समज मे आना-सीख​

Answers

Answered by srinivasaraothota000
2

Answer:

not ask in hindi friend please ask in english please friend

Answered by akashish404
3

Answer:

Hello

Explanation:

जनवरी महीने में आम के पेड़ों में बौर आना शुरू हो जाता है। इस लिए किसानों को अच्छा उत्पादन पाने के लिए अभी से देखभाल करनी इसकी देखभाल करनी होगी। क्योंकि अगर ज़रा सी चूक हुई तो रोग और कीट पूरी फसल को बर्बाद कर सकते हैं।

फलों का राजा आम हमारे देश का सबसे महत्वपूर्ण फल है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, उडीसा, महाराष्ट्र, और गुजरात में व्यापक स्तर पर की जाती है।

''इस समय किसानों को बाग में सिंचाई कर देनी चाहिए, जिससे नमी बनी रहे। किसानों को इस समय पेड़ों पर कीटनाशकों का छिड़कार कर देना चाहिए, इसके बाद दूसरा छिड़काव जब फल चने के बराबर हो जाएं तब करना चाहिए,'' बागवानी विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर आरपी सिंह ने बताया, ''जिस समय पेड़ों पर बौर लगा हो उस समय किसी भी कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका परागड़ हवा या मक्खियों द्वारा होता है। अगर कीटनाशक का छिड़काव कर दिया तो मक्खिया मर जाएंगी और बैर पर नमी होने के कारण परागण नहीं हो पाएगा, जिससे फल बहुत कम आएंगे।''

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आम की फसल में इस समय हॉपर कीट लगने का ख़तरा रहता है। यह कीट पत्तियों और बौर से रस चूसता रहता है, इसका असर अगर ज्यादा हो गया तो पेड़ में फल नहीं आता है। इस लिए समय पर कीटनाशकों का प्रयोग करें।

आम पर लगने वाले कीट

गुठली का घुन (स्टोन वीविल)- यह कीट घुन वाली इल्ली की तरह होता है। जो आम की गुठली में छेद करके घुस जाता है और उसके अन्दर अपना भोजन बनाता रहता है। कुछ दिनों बाद ये गूदे में पहुंच जाता है और उसे हानि पहुंचाता है। इस की वजह से कुछ देशों ने इस कीट से ग्रसित बागों से आम का आयात पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया था।

रोकथाम- इस कीड़े को नियंत्रित करना थोड़ा कठिन होता है इसलिए जिस भी पेड़ से फल नीचे गिरें उस पेड़ की सूखी पत्तियों और शाखाओं को नष्ट कर देना चाहिए। इससे कुछ हद तक कीड़े की रोकथाम हो जाती है।

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जाला कीट (टेन्ट केटरपिलर)- प्रारम्भिक अवस्था में यह कीट पत्तियों की ऊपरी सतह को तेजी से खाता है। उसके बाद पत्तियों का जाल या टेन्ट बनाकर उसके अन्दर छिप जाता है और पत्तियों को खाना जारी रखता है।

रोकथाम- पहला उपाय तो यह है कि एज़ाडीरेक्टिन 3000 पीपीएम ताकत का 2 मिली लीटर को पानी में घोलकर छिड़काव करें। दूसरा संभव उपाय यह किया जा सकता है कि जुलाई के महीने में कुइनोलफास 0.05 फीसदी या मोनोक्रोटोफास 0.05 फीसदी का 2-3 बार छिड़काव करें।

दीमक- दीमक सफेद, चमकीले एवं मिट्टी के अन्दर रहने वाले कीट हैं। यह जड़ को खाता है उसके बाद सुरंग बनाकर ऊपर की ओर बढ़ता जाता है। यह तने के ऊपर कीचड़ का जमाव करके अपने आप को सुरक्षित करता

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