20 मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग
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1. अन्त बुरे का बुरा-बुरे का परिणाम बुरा होता है।
2. अन्त भला सो भला-परिणाम अच्छा रहता है तो सब-कुछ अच्छा कहा जाता है।
3. अन्धा क्या चाहे दो आँखें—प्रत्येक व्यक्ति अपनी उपयोगी वस्तु को पाना चाहता है।
4. अन्धी पीसे कुत्ता खाय-परिश्रमी के असावधान रहने पर उसके परिश्रम का फल निकम्मों को मिल जाता है।
5. अन्धे के आगे रोए अपने नैन खोए-जिसमें सहानुभूति की भावना न हो, उसके सामने दुःख-दर्द की बातें करना व्यर्थ है।
6. अन्धों में काना राजा-मूों के समाज में कम ज्ञानवाला भी सम्मानित होता है।
7. अक्ल बड़ी या भैंस-शारीरिक शक्ति की अपेक्षा बुद्धि अधिक बड़ी होती है।
8. अधजल गगरी छलकत जाय-अधूरे ज्ञानवाला व्यक्ति ही अधिक बोलता डींगें हाँकता. है।
9. अपना पैसा खोटा तो परखनेवाले का क्या दोष-अपने अन्दर अवगुण हों तो दूसरे बुरा कहेंगे ही।
10. अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग-सबका अपनी-अपनी अलग बात करना।
11. अपनी करनी पार उतरनी-अपने बुरे कर्मों का फल भुगतना ही होता है।
12. अपने घर पर कुत्ता भी शेर होता है-अपने स्थान पर निर्बल भी अपने को बलवान् प्रकट करता है।
13. अपना हाथ जगन्नाथ-अपना कार्य स्वयं करना।
14. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता-अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता।
15. अशर्फियाँ लुटें और कोयलों पर मुहर-मूल्यवान् वस्तुओं की उपेक्षा करके तुच्छ वस्तुओं की चिन्ता करना।
16. आँख के अन्धे गाँठ के पूरे—मूर्ख और हठी।
17. आँखों के अन्धे, नाम नयनसुख-गुणों के विपरीत नाम होना।।
18. आई मौज फकीर की दिया झोपड़ा फूंक-वह व्यक्ति, जो किसी भी वस्तु से मोह नहीं करता है।
19. आगे कुआँ पीछे खाई—विपत्ति से बचाव का कोई मार्ग न होना।
20. आगे नाथ न पीछे पगहा-कोई भी जिम्मेदारी न होना।
Answer:
आग बबूला होना – बहुत गुस्सा करना –
समझाने के बाद भी जब चोर फिर पकड़ा गया तो पुलिस अफसर आग बबूला हो गया।
आसन ज़माना – कब्ज़ा करना –
कुछ अतिथि तो बिन बुलाए ही दूसरों के घर आसन जमा लेते हैं।
आड़े हाथों लेना – खरी खोटी सुनाना –
जब प्रकाश ने मेरे पैसे समय पर नहीं लौटाए तो मैंने उसे आड़े हाथों लिया।
आँख कान खुले रखना – सचेत रहना –
आतंकवाद इतना फैल गया है कि हर समय आँख कान खुले रखने पड़ते हैं।
आँखों में खटकना – बुरा लगना –
शरारती बच्चे हमेशा टीचर की आँखों में खटकते हैं।
आँखें बिछाना – बहुत इज्जत देना –
क्रिकेट टीम जब जीत के लौटी तो जनता ने उनके स्वागत में आँखें बिछा दी।
आँखें खुलना – होश आना –
सब दोस्तों से झगड़ कर जब मोहन अकेला रह गया तो उसकी आंखें खुली।
आँखें दिखाना – धमकी देना –
चोरी करते पकड़े जाने पर चोर पुलिस को ही आंखें दिखाने लगा।
आँखें चार होना – एक दुसरे को देखना –
प्रिया और रिंकू को डर था कि कहीं कोई उन्हें आँखें चार करते ना देख ले।
आँखों का पानी उतरना – निर्लज्ज हो जाना –
फैशन के चक्कर में कुछ युवा वर्ग की आँखों का पानी उतर गया है।
आँखों का तारा – बहुत प्रिय –
रिंकू तो क्लास टीचर की आँखों का तारा है।
आँखें पथरा जाना – इंतज़ार करते करते थक जाना –
विदेश में रहते बच्चों को मिलने को तरसती माँ की आँखें पथरा गयी।
आँखें फेर लेना – उपेक्षा करना –
अमीर होते ही सुरेश ने पुराने दोस्तों से आँखें फेर ली।
आँच ना आने देना – नुक्सान ना होने देना –
राखी पर भाई वचन देते हैं कि बहिन पर कभी आँच ना आने देंगे।
आकाश-पाताल एक कर देना – जी जान से कोशिश करना –
प्रीती का फ़ोन गुम गया तो उसे ढूंढ़ने में उसने आकाश-पाताल एक कर दिया।
आटे-दाल का भाव मालूम होना – कठिनाइयों कैसे सामना होना –
नौकरी से निकाले जाने के बाद विकास को आटे-दाल का भाव मालूम हुआ।
आपे से बाहर होना – बहुत क्रोधित होना –
जीतू के हाथ से फिर प्लेट टूटी तो माँ आपे से बहार हो गयी।
आस्तीन का साँप – धोखेबाज मित्र –
मैंने उसे अपने घर आश्रय दिया पर मेरे ही घर उस आस्तीन के साँप ने चोरी कर ली।
आग में घी डालना – क्रोधित को उकसाना –
दो भाईओं को झगड़ते देख पड़ोसिओं ने भड़का कर आग में घी डाल दिया।
ओखली में सिर देना – जानबूझकर जोखिम उठाना –
दोस्तों के झगड़े निपटाने का बीड़ा उठा उसने मानो ओखली में सिर दे दिया।
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