Hindi, asked by swethareddydharakapa, 10 hours ago

20 नीती वाक्य के संग्रह करके लिखा लिखाए ।​

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Answered by savitaahire25198391
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हमारे शास्त्रों और ग्रंथों में कई ऐसे दोहे लिखे गए हैं जिसे पढ़ने के बाद इंसान अपने मार्ग से विचलित नहीं होगा। कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती है, जिसमें हमारा मनोबल टूटता नजर आता है। ऐसी स्थितियों में हमें अपने मन और विचार को मजबूत बनाने के लिए चाणक्य नीति पढ़ना चाहिए। आइए जानते हैं कौन सी है वो चाणक्य नीति जिसे पढ़ने से आप अपने जीवन में कभी हार नहीं मानेंगे।

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Chanakya Success Mantra

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Chanakya Success Mantra - फोटो : social media

मन मलीन खल तीर्थ ये, यदि सौ बार नहाहिं ।

होयं शुध्द नहिं जिमि सुरा, बासन दीनेहु दाहिं ।

अर्थ- चाणक्य कहते हैं, जिसके मन में पाप का वास हो गया है वह बाहर से कितनी भी कोशिश कर ले खुद को साफ दिखाने का उसका मन वैसा ही रहता है। जैसे बर्तन में रखी शराब आग में झुलसने के बाद भी पवित्र नहीं होता है।

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Chanakya Success Mantra

धर्मशील गुण नाहिं जेहिं, नहिं विद्या तप दान ।

मनुज रूप भुवि भार ते, विचरत मृग कर जान ।

अर्थ-चाणक्य कहते हैं जिस मनुष्य के अंदर अगर ज्ञान, गुण और शील न हो वह मनुष्य पृथ्वी पर बोझ के समान है। उसे इस धरती पर जीने का कोई हक नहीं है। ऐसा लोग धरती पर बोझ बनकर जिंदा है।

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Chanakya Success Mantra

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Chanakya Success Mantra - फोटो : social media

बिन विचार खर्चा करें, झगरे बिनहिं सहाय ।

आतुर सब तिय में रहै, सोइ न बेगि नसाय ।

अर्थ- कहते हैं अगर कोई इंसान पैसे को व्यर्थ में खर्च कर रहा है तो उसे पैसे के महत्व के बारे में नहीं पता है। ऐसे व्यक्ति स्वभाव से झगड़ालू होते हैं और स्त्रियों को परेशान करने वाले होते है। ऐसे लोगों का कब नाश हो जाता है इसका अंदाजा भी वह नहीं लगा पाते हैं। ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

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Chanakya Success Mantra - फोटो : social media

लेन देन धन अन्न के, विद्या पढने माहिं ।

भोजन सखा विवाह में, तजै लाज सुख ताहिं ।

अर्थ-चाणक्य कहते हैं जो मनुष्य लेन-देन, भोजन, धन-धान्य और व्यवहार से निर्लज रहता है, वहीं इंसान अपने जीवन में आगे बढ़ता है। उसे कोई भी व्यक्ति हरा नहीं सकता है। अपने कार्यों को अपने मन से करता है।

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दानशक्ति प्रिय बोलिबो, धीरज उचित विचार ।

ये गुण सीखे ना मिलैं, स्वाभाविक हैं चार ।

अर्थ- मनुष्य के अंदर कुछ गुण स्वंय से उत्पन्न होते हैं। जैसे दान करना, मीठी बातें करना, लोगों की सेवा करना, समय पर सही-गलत का निर्णय लेना। इसे कहीं और से नहीं सिखा जा सकता।

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