20 ऋतुमयीगायों के लक्ष्ण लिखिए।
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ऋतुमयी गायों के लक्षण
गाभिनपशु अन्य पशुओं के मुकाबले काफी संवेदनशील होते हैं। क्योंकि इनमें कई प्रकार के हारमोनल परिवर्तन होते हैं। गाय गाभिन होने के 9 माह 9 दिन भैंस गाभिन होने के 10 माह 10 दिन में बच्चा देती है। इसलिए पशु के गाभिन होने की तारीख का पता होना जरुरी होता है।
•निषेचन के दो माह बाद पशु के गर्भ की जांच पशु चिकित्सक से करा लें।
• प्रथम तीन महीने में भ्रूण का विकास धीरे-धीरे होता है। अत: इन तीन माह में आहार व्यवस्था में ज्यादा परिवर्तन की जरुरत नहीं होती। खनिज लवण प्रोटीन की मात्रा थोड़ी बढ़ा देनी चाहिए।
•तीन से छह माह के गाभिन पशु के चारे में प्रोटीन, विटामिन एवं खनिज लवण की मात्रा बढ़ा दें।
•गाभिन पशु साफ एवं स्वच्छ वातावरण में रखें एवं उक्त स्थान पर हर रोज सफाई करें।
•छह माह के गाभिन पशु को पाचक प्रोटीन, 10 से 12 ग्राम कैल्सियम, 7-8 ग्राम फास्फोरस एवं विटामिन दें।
•कैल्शियम की पूर्ति के लिए दाने में कैल्शियम कार्बोनेट मिलाएं।
•जिस स्थान पर गाभिन पशु रखा गया हो वहां शांतिमय वातावरण हो।
• गाभिन पशु को बेवजह न दौड़ाया जाए, उसे साधारण व्यायाम ही कराएं।
•ब्याने के 60 दिन पहले गाभिन पशु का दूध निकालना बंद कर दें।
•गाभिन गाय या भैंस को साधारणतया 25 से 30 किलोग्राम हरा चारा, दो से चार किलोग्राम सूखा चारा, दो से तीन किलोग्राम दाना एवं 50 ग्राम नमक रोज दें।
•गाभिन पशु के ब्याने के करीब दो सप्ताह पहले अन्य पशुओं से अलग कर दें। अच्छी गुणवत्ता के शीघ्र पाचक चारों में चोकर अलसी मिलाकर दें।
• गाभिन पशु को गर्मी, सर्दी एवं बरसात से बचाएं।
•पशुओं का बिछावन रोज बदलें।
•ब्यानेके बाद पशु को गुनगुने पानी से भीगे कपड़े द्वारा साफ करें, ब्याने के बाद पशु को कार्बोहाइड्रेटस युक्त चारे खिलाएं। पशु को गेहूं का दलिया, सोंठ, गुड़ अजवायन पकाकर खिलाएं।