20. 'धन की शुद्धि' का क्या अभिप्राय है?
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सब प्रकार की शुद्धि में धन शुद्धि श्रेष्ठ है। जिसने अन्याय से धन नहीं लिया, वही पूर्णत: शुद्ध है। हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि कठोर परिश्रम, शिक्षा, पुण्य भाव व सेवाभाव से ही कमाया हुआ धन मनुष्य के पास टिककर उसे स्थाई लाभ पहुंचाता है।
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धन की शुद्धि
दान से धन शुद्ध होता है, ईश्वर के नाम से आत्मा
स्नान से शरीर शुद्ध होता है। दान देने से धन की शुद्धि होती है और ईश्वर का नाम स्मरण करने से आत्मा की शुद्धि होती है। ... मन की क्रियाएं आत्मा के विरुद्ध होने पर आत्मा बता देती है कि यह गलत कार्य है।
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