200 सो शब्दो में अपनी बचपन की किसी यात्रा का वर्ण लिखे
Answers
बचपन में सभी व्यक्ति चिंतामुक्त जीवन जीते हैं । खेलने उछलने-कूदने, खाने-पीने में बड़ा आनंद आता है । माता-पिता, दादा-दादी तथा अन्य बड़े लोगों का प्यार और दुलार बड़ा अच्छा लगता हैं । हमउम्र बच्चों के साथ खेलना-कूदना परिवार के लोगों के साथ घूमना-फिरना बस ये ही प्रमुख काम होते हैं ।
✍︎ANSWER✍︎
बचपन के दिन कितने सुहावने थे ? बचपन में मुझे सारा संसार उल्लासमय और आनन्ददायक लगता था । चिंता की कोई बात नहीं थी । जब कभी मैं चिल्ला पड़ता, कोई-न-कोई मुझे गोद में उठाकर पुचकार लेता । मैं किसी-न-किसी की गोद में होता था ।
बचपन के दिन कितने सुहावने थे ? बचपन में मुझे सारा संसार उल्लासमय और आनन्ददायक लगता था । चिंता की कोई बात नहीं थी । जब कभी मैं चिल्ला पड़ता, कोई-न-कोई मुझे गोद में उठाकर पुचकार लेता । मैं किसी-न-किसी की गोद में होता था ।मेरा जन्म बड़े अमीर और समृद्ध परिवार में नहीं हुआ था । इसलिए मेरी माँ ही सदा मेरी देखभाल किया करती थी । मुझे किसी नौकर या नर्स के सहारे नहीं छोड़ा गया ।
बचपन चिन्ताओं से मुका होता है । बच्चे के कंधे पर न कोई जिम्मेदारी होती है और न उसे अपने कर्त्तव्य की परवाह होती है । बच्चे का काम खाना, पीना, सोना और खेलना होता है । रोटी खाते समय या दूध पीते समरा उन्से कभी यह ख्याल नहीं आता कि रोटी कैसे आई है या उसे लाने में कितनी मेहनत करनी पड़ी है ।केवल धर को कर्ता ही यह जानता है । घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर भी बच्चे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता । बच्चा सदैव अज्ञान और निष्कपटता की दुनिया में जीता है । वर्डसवर्थ ने बिल्कुल ठीक कहा है कि हम अपना बचपन स्वर्गिक वातावरण में बिताते हैं । बीते दिनो की मधुर यादें अभी तक मुझे पुलकित कर देती हैं ।