2010 mein राज्यसभा dwara परित aitihasik महिला आरक्षण बिल mein sabhi लोकसभा sito mein se mahilaon ke liye कितने pratishat आरक्षण की vyavastha hai
Answers
1/3rd or 33 percent
Explanation:
- महिला आरक्षण विधेयक या संविधान (108 वाँ संशोधन) विधेयक, 2008 भारत की संसद में पारित किया जाता है, जो 1 / 3rd आरक्षित करने के लिए भारत के संविधान में संशोधन करने का प्रस्ताव रखता है।
- भारत की संसद के निचले सदन, लोकसभा और महिलाओं के लिए सभी राज्य विधानसभाओं में सभी सीटों पर। सीटों को रोटेशन में आरक्षित करने का प्रस्ताव किया गया था और इसे इस तरह से बहुत से ड्रा द्वारा निर्धारित किया गया था कि एक सीट लगातार तीन आम चुनावों में केवल एक बार आरक्षित होगी।
- राज्यसभा ने 9 मार्च 2010 को विधेयक पारित किया। हालांकि, लोकसभा ने कभी भी विधेयक पर मतदान नहीं किया। यह विधेयक अभी भी लंबित है क्योंकि यह लोकसभा में कभी नहीं गया।
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What is 'Women Reservation Bill'? Are you in favour of the bill or not ...
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Answer:
महिला आरक्षण बिल 2010
Explanation:
भारत के ऊपरी सदन राज्यसभा में दो दिनों तक चले विरोध, शोर शराबे और हंगामे के बाद भारी बहुमत से महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया है.
विधयेक के पक्ष में 186 सदस्यों ने वोट दिया जबकि विरोध में केवल एक ही मत पड़े.
बहुजन समाज पार्टी के सांसद इस विधेयक के मौजूदा स्वरुप का विरोध करते हुए मतदान के समय सदन से बाहर चले गए.
राज्य सभा के बाद इस विधेयक को लोकसभा और कम से कम राज्यों के 15 विधान सभाओं से पारित किया जाना है.
महिला आरक्षण विधेयक में महिलाओं के लिए संसद और राज्य विधान सभाओं की 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है.
विरोध : समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और बहुजन समाज पार्टी ने इस विधेयक का विरोध किया है.
इस विधेयक के मौजूदा स्वरुप में विरोध करने वालों का कहना है कि इसके पारित हो जाने से देश की दलित, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में कमी आएगी.
उनकी मांग है कि महिला आरक्षण के भीतर ही दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की जाएं.
इस विधेयक को लेकर सोमवार और मंगलवार को राज्य सभा और लोक सभा की कार्यवाही अनके पार स्थगित करनी पड़ी.
जहां सोमवार को इस विधेयक के विरोधियों ने राज्य सभा में सभापति के आसन से विधेयक की कॉपी को छिनने का प्रयास किया वहीं मंगलवार को भी उन सदस्यों ने अपना हंगामा जारी रखा तो सभापति ने एक प्रस्ताव के बाद उन्हें इस बजट सत्र से निलंबित कर दिया.
भारी विरोध और शोर शराबे के बाद इस विधेयक पर बहस की शुरुआत करते हुए राज्य सभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है लेकिन राज्य सभा में जो हुआ उससे देश शर्म सार है.
बहस : जबकि कांग्रेस पार्टि की वरिष्ठ नेता जयंती नटराजन ने बहस में भाग लेते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से महिला आरक्षण के पक्ष में थी.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की नेता वृंदा करात के अनुसार इस विधेयक के पारित होने देश का लोकतंत्र और मज़बूत होगा.
करात का कहना था कि उन्हें ये सुनकर बेहद दुख होता कि आरक्षण से महिलाओं के एक विशेष वर्ग को ही फ़ायदा होगा.
बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि महिलाओं को 50 फ़ीसदी आरक्षण मिलना चाहिए. उनके अनुसार आरक्षण विधेयक में कुछ कमियाँ जिन्हें दूर करना आवश्यक है.
जनता दल (युनाइटेड) के नेता शिवानंद तिवारी का कहना है कि वो चाहते हैं कि आरक्षण के बीच आरक्षण हो.
आशंका : उनका कहना था, "मुसलमानों के मन में ये आशंका है कि उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है, उन्हें लगता है कि महिलाओं का आरक्षण होने से मुसलमान सांसदों की संख्या और कम हो जाएगी."
कम्युनिस्ट नेता डी राजा ने विधेयक के विरोधियों से आग्रह करूंगा कि वे विधयेक को पारित होने दें और बाक़ी मुद्दों को भी सुलझाया जा सकता है.