(2010)
सन्ध्या हो चली थी। बादशाह के आदमी महल की ओर लौट रहे थे। उन्होंने एक आदमी को सड़क
से आते देखा। वह जोर-जोर से गाना गाते हुए आ रहा था। उसके कपड़े मैले-कुचैले थे परन्तु वह सुखी
मैं न तो चोर हूँ, न आलसी। मैं किसी का बुरा नहीं
करता है। मैं ईश्वर से डरता हूँ। मुझे कोई चिन्ता नहीं, तब क्यों न सुखी होऊँ?' यह सुनकर बादशाह के
आदमी उस व्यक्ति को महल में ले गये और उसे बादशाह के सामने पेश किया। उसके सुखी होने का कारण
मालूम होता था। पूछने पर उसने जवाब दिया,
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it was gowing. The emeror's men were towards the places. He saw a man coming from the road.
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