2016 tatha 2017 ke bich Ek parimay sankhya gyat Karen hindi
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प्राचीन काल में मनुष्य रस्सी में गांठ बांधकर या पेड़ पर कटावदार चिन्ह बनाकर गिनती की शुरुआत करता था जो कालांतर में संख्या का रूप ले लिया और और बाद में विभिन्न सभ्यताओं ने अपनी अपनी संख्या पद्धति का विकास किया. 300 ईशा पूर्व तक भारतीय गणितज्ञ ने कुछ संख्यांक का खोज किया परन्तु इसमें शुन्य का उल्लेख नहीं था. शुन्य के खोज के उपरांत स्थानीय मान वाला अंक प्रणाली की खोज का श्रेय भारत को ही जाता है जिसे बाद में अरब गणितज्ञ ने प्रचार किया और अभी बर्तमान अंक पद्धति को हिन्दू अरबी अंक पद्धति कहा जाता है . 1220 में अंको की कहानी (लिबेर अबाची) पुस्तक द्वारा फिबोनाची ने पश्चिमी देशो में 0 – 9 अंको वाली दाशमिक प्रणाली से अवगत कराया .
अंको के मान
किसी संख्या के अंको के दो मान होते है – 1. अंकित या वास्तविक या शुद्ध मान 2. स्थानीय मान
किसी अंक का वह मान जो कभी नहीं बदलता है उसे वास्तविक मान कहते है और वह मान जो उनके स्थान विशेष की स्थिति के अनुसार बदलता है स्थानीय मान कहलाता है.
उदाहरण:- 235 में 2 का अंकित मान 2 तथा स्थानीय मान 200 है.
करोड़ लाख हजार इकाई
दस करोड़ करोड़ दस लाख (मिलियन ) लाख दस हजार हजार सैकड़ा दहाई इकाई
100000000 10000000 1000000 100000 10000 1000 100 10 1
10^8 10^7 10^6 10^5 10^4 10^3 10^2 10^1 10^0