Hindi, asked by dv903279, 3 days ago

21 निम्निलिखित गद्यांश की सन्दर्भ- प्रसंग सहित व्याख्या लिखिए- मैं प्रायः सोचती हूँ कि जब ऐसा बुलावा आ पहुंचेगा, जिसमें न धोती साफ करने का अवकाश रहेगन सामान बाँधने का, न भक्ति- को रुकने का अधिकार होगा न मुझे रोकने का, तब चिर-विदा के अंतिम क्षणों में यह देहातिन वृद्ध क्या करेगी और में क्या करूँगी? अथवा​

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Answered by dwivedivaishali951
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Explanation:

व्याख्या लेखिका सोचते हैं कि जब भगवान का बुलावा आएगा था तुम मृत्यु के समय तो यात्रा की तैयारी के लिए अवकाश नहीं होता ना जाने वाले को रोका भी नहीं जा सकता दोनों में से पता नहीं किसकी चीर विदाई पहले होगी यदि लेखिका की खीर विदाई होती है तो पर ग्रामीण बद्ध क्या करेगी वह लेखिका को कैसे रुकेगी या स्वयं कैसे जाएगी बड़ी विषम स्थिति का सामना करना होगा उसी प्रकार यदि भक्ति सब छोड़-छाड़ कर जाएगी तो लेखिका क्या करेगी दोनों ही एक दूसरे की पूरक हो गई थी अलग होना दोनों के लिए आरंभ असंभव था दोनों चिर विदाई के क्षणों की कल्पना से ही सहम जाती थी

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