21 vi Sadi ka Bharat nibandh
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आज जो हम करते हैं, वही कल होगा। वर्तमान की नींव पर भविष्य खड़ा होता है। हर आने वाले कल में वर्तमान के द्वार से ही प्रवेश करते हैं। इसलिए कल के लिए वर्तमान का महत्व या भूमिका बहुत बड़ी होती है। यही बात हमारे देश भारत के लिए भी लागू होती है कि आज जो भारत है, वह कल का भारत होगा। आज का भारत कल का भारत है।
भारत बदल रहा है हम विकाशशील देशो की श्रेणी मे गिने जा रहे है.हम तो 21वी सदी की ओर अग्रसर रहे है पर हमारी सोचे 20वी सदी की ही है.अगर हमे सही मायने मे तरक्की करनी है और अपने देश को खुशहाल राष्ट्रा बनाना है तो तो हमे अपनी सोच को बदलना होगा.आज क युवा पहले से कही ज़्यादा समझदार और ज़िम्मेदार हो गये है.वो हर मामलो मे खुल के सामने आ र्हे है.चाहे वो अपनी जिंदगी की बात हो या अपने देश की ,सब मे वो भागीदारी कर रहे है.यहा तक की माता -पिता को खुद वो संभाल र्हे है.वो अपना जीवन साथी खुद ही चुन र्हे है.पुराने के जमानो मे माता -पिता खूब अपने लड़के के लिए पत्नी ढूढ़त्ते थे और बिना लड़के की मर्ज़ी से सदी कर के जीवन साथी का दर्ज़ा दे देते थे.लेकिन आज ऐसा न्ही सब कुछ बदल रा है. अगर कुछ जगहो को छोड़ दिया जाए तो हम पाते है की आधिकांश युवा अपना लाइफ पार्ट्नर अपने मुताबिक चुन रहे है..कुछ जगहो पर तो अंतरजातीय विवाह कू जुर्म माना जाता है और इसे करना घोर अपराध,और इनकी सज़ा तो अपने क़ानून से उपर दी जाती है.विवाहित जोड़े को या तो कत्ल कर दिया जाता है,या फिर हमेशा के लिए अपनी मातृभूमि को छोड़ के जाना पड़ता है.अपने माता-पिता का प्यार छोड़ना पड़ता है.इंसान अपने मर्ज़ी से नही जी सकता है.देश बदल रहा है.हर चीज़े बदल रही है.मोबाइल 2जी से 3जी हो गया या तक 4जी होने वाला है.पर लोगो की मानसिकता 2जी वाली ही है लोग ज़्यादा से ज़्यादा पश्चिम सभ्यता को अनुसरण कर रहे है.रहने से लेकर खाने पीने उठाने बैठने तक सब नकल कर रहे है
भारत बदल रहा है हम विकाशशील देशो की श्रेणी मे गिने जा रहे है.हम तो 21वी सदी की ओर अग्रसर रहे है पर हमारी सोचे 20वी सदी की ही है.अगर हमे सही मायने मे तरक्की करनी है और अपने देश को खुशहाल राष्ट्रा बनाना है तो तो हमे अपनी सोच को बदलना होगा.आज क युवा पहले से कही ज़्यादा समझदार और ज़िम्मेदार हो गये है.वो हर मामलो मे खुल के सामने आ र्हे है.चाहे वो अपनी जिंदगी की बात हो या अपने देश की ,सब मे वो भागीदारी कर रहे है.यहा तक की माता -पिता को खुद वो संभाल र्हे है.वो अपना जीवन साथी खुद ही चुन र्हे है.पुराने के जमानो मे माता -पिता खूब अपने लड़के के लिए पत्नी ढूढ़त्ते थे और बिना लड़के की मर्ज़ी से सदी कर के जीवन साथी का दर्ज़ा दे देते थे.लेकिन आज ऐसा न्ही सब कुछ बदल रा है. अगर कुछ जगहो को छोड़ दिया जाए तो हम पाते है की आधिकांश युवा अपना लाइफ पार्ट्नर अपने मुताबिक चुन रहे है..कुछ जगहो पर तो अंतरजातीय विवाह कू जुर्म माना जाता है और इसे करना घोर अपराध,और इनकी सज़ा तो अपने क़ानून से उपर दी जाती है.विवाहित जोड़े को या तो कत्ल कर दिया जाता है,या फिर हमेशा के लिए अपनी मातृभूमि को छोड़ के जाना पड़ता है.अपने माता-पिता का प्यार छोड़ना पड़ता है.इंसान अपने मर्ज़ी से नही जी सकता है.देश बदल रहा है.हर चीज़े बदल रही है.मोबाइल 2जी से 3जी हो गया या तक 4जी होने वाला है.पर लोगो की मानसिकता 2जी वाली ही है लोग ज़्यादा से ज़्यादा पश्चिम सभ्यता को अनुसरण कर रहे है.रहने से लेकर खाने पीने उठाने बैठने तक सब नकल कर रहे है
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