22. राजनैतिक सुधरवाद काल मे किस पर अक्कि बल दिया गया है?
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स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रथम चरण में जबकि क्रांतिकारी आतंकवाद धीरे-धीरे गति पकड़ रहा था, दिसम्बर 1907 में कांग्रेस का सूरत विभाजन हुआ। इसका प्रमुख कारण कांग्रेस में दो विपरीत विचाराधाराओं का उदय था ।
1905 में जब कांग्रेस का अधिवेशन गोपाल कृष्ण गोखले की अध्यक्षता में बनारस में संपन्न हुआ तो उदारवादियों एवं उग्रवादियों के मतभेद खुलकर सामने आ गये। इस अधिवेशन में बाल गंगाधर तिलक ने नरमपंथियों की ब्रिटिश सरकार के प्रति उदार एवं सहयोग की नीति की कटु आलोचना की। तिलक की मंशा थी कि स्वदेशी एवं बहिष्कार आंदोलन का पूरे बंगाल तथा देश के अन्य भागों में तेजी से विस्तार किया जाये, तथा इसमें अन्य संस्थाओं (यथा-सरकारी सेवाओं, न्यायालयों, व्यवस्थापिका सभाओं इत्यादि) को सम्मिलित कर इसे राष्ट्रव्यापी आंदोलन का स्वरूप दिया जाये जबकि उदारवादी इस आंदोलन को केवल बंगाल तक ही सीमित रखना चाहते थे तथा अन्य संस्थाओं को इस आंदोलन में सम्मिलित करने के पक्ष में नहीं थे। उग्रवादी चाहते थे कि बनारस अधिवेशन में उनके प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया जाये जबकि उदारवादियों का मत था कि बंगाल विभाजन का विरोध संवैधानिक तरीके से किया जाये तथा उन्होंने ब्रिटिश सरकार के साथ असहयोग करने की नीति का समर्थन नहीं किया।