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अध्यापक,चाय. अभ्यास.सफ
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Explanation:
कोरोना वायरस रोग 2019 (कोविड-19) के प्रसार और इसके आगे के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए लागू किए गए अनियोजित लॉकडाउन ने ऐसे लाखों लोगों के जीवन में एक आर्थिक तबाही मचा दी है जो अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं– इनमें न केवल दिहाड़ी मज़दूर हैं बल्कि अनियमित अर्थव्यवस्था में काम करने वाले मजदूर भी हैं.
रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, भारत के कुल कार्यबल का 80% से अधिक हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं, इसमें से एक तिहाई कैज़ुअल मजदूर हैं.
प्रधानमंत्री द्वारा 19 मार्च को दिए गए संबोधन के 24 घंटों के भीतर महानगरों के रेलवे और बस स्टेशनों पर भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हो गई. जो लोग कमा नहीं सकते, वे अपने घर जाना चाहते थे, जहां उन्हें कम से कम खाना और आश्रय तो मिलेगा.
वायरस के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक स्थिति उन लोगों को भी प्रभावित करेगी जो कोविड-19 से बच जाएंगे. इस स्थिति से निपटने के लिए तुरंत क्या किया जा सकता है, इस पर कुछ सुझाव हैं.
नकद सहायता
भारत समेत विश्वभर में कैश ट्रांसफर यानी नकद हस्तांतरण को पहले कदम के रूप में अपनाने की वकालत की जा रही है. पहली नज़र में, वे सबसे आसान और तेज विकल्प लगते हैं, लेकिन इनके साथ कुछ खतरे भी जुड़े हुए हैं:
क. यह ‘आधार’ तय करना साधारण कार्य नहीं है कि किसे नकद मिले और कितना?
क्या यह सभी मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) श्रमिकों के लिए होना चाहिए? क्या सभी मज़दूरों को बराबर मिलना चाहिए (भले ही उनके पूर्व में किए काम का अनुभव अलग हो)?
ख. जमाखोरी और मूल्य वृद्धि की स्थिति में नकद की कीमत कम हो सकती है.
ग. ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखाओं की संख्या काफी कम है. बड़े पैमाने पर नकद देने से भीड़ जमा होगी, जिसके परिणामस्वरूप वायरस के सामुदायिक फैलाव का जोखिम उत्पन्न होगा.
घ. बैंकिंग प्रणाली के आधार-पेमेंट ब्रिज सिस्टम की ओर बढ़ने के कारण गड़बड़ियां होना एक बड़ा मुद्दा है, जिस पर बात नहीं होती, पर जिसके परिणामस्वरूप भुगतान अस्वीकृत या डायवर्ट आदि हो जाते हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के हालिया आंकड़े यह बताते हैं कि लगभग 10% प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) इस भुगतान ब्रिज के कारण विफल रहा. इसके अलावा, जो भुगतान डीबीटी पोर्टल पर सफल दिखाई देते हैं, वे गलती से अन्य लोगों के खातों में चले जाते हैं.
फिर भी, कैश ट्रांसफर का उपयोग किया जा सकता है (और अवश्य) किया जाना चाहिए. तात्कालिकता को ध्यान में रखते हुए, मौजूदा नकद हस्तांतरण कार्यक्रमों का सहारा लेना ही बेहतर होगा.
इसके बावजूद कुछ संवेदनशील वर्ग (उदाहरण के लिए, शहरी गरीब) छूट जाएंगे, लेकिन उनके लिए अन्य उपाय हैं.