23. सोत को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए,
जैसे-जैसे जलियांवाला बाग की खबर फैली उत्तर भारत के बहुत सारे शहरों में लोग सड़कों पर उतरने लगे,
हड़ताल होने लगी लोग पुलिस से मोर्चा लेने लगे और सरकारी इमारतों पर हमला करने लगे । सरकार ने इन
कार्रवाइयों को निर्ममता से कुचलने का रास्ता अपनाया । सरकार लोगों को अपमानित और आतंकित करना
चाहती थी। सत्याग्रहियों को जमीन पर नाक रगड़ने के लिए, सड़क पर घिसट कर चलने और सारे साहिबों को
सलाम मारने के लिए मजबूर किया गया। लोगों को कोई मारे गए और गुजरांवाला गाँव (पंजाब) पर बम बरसाए
गए। हिंसा फैलते देख महात्मा गांधी ने आंदोलन वापस ले लिया।
भले ही रोलेट सत्याग्रह एक बहुत बड़ा आंदोलन था लेकिन अभी भी वह मुख्य रूप से शहरों और कस्बों तक ही
सीमित था । महात्मा गांधी पूरे भारत में और भी ज्यादा जनाधार वाला आंदोलन खड़ा करना चाहते थे लेकिन
उनका मानना था कि हिंदू-मुसलमानों को एक दूसरे के नजदीक लाए बिना ऐसा कोई आंदोलन नहीं चलाया जा
सकता। उन्हें लगता था कि खिलाफत का मुद्दा उठाकर वह दोनों समुदायों को नजदीक ला सकते हैं।
पहले विश्वयुद्ध में ऑटोमन तुर्की की हार हो चुकी थी। इस आशय की अफवाह फैली हुई थी कि इस्लामिक विश्व
के आध्यात्मिक नेता (खलीफा) ऑटोमन समाट पर एक बहुत सख्त शांति संधि योपी जाएगी। खलीफा की
तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च 1919 में मुंबई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया।
मोहम्मद अली और शौकत अली बंधुओं के साथ-साथ कई युवा मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त
कार्यवाही की संभावना तलाशने के लिए महात्मा गांधी के साथ चर्चा शुरू कर दी थी
मुस्लिमों को राष्ट्रीय आंदोलन की छतरी में लाने के लिए गांधीजी ने इसको एक अवसर की तरह देखा। सितंबर
1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में उन्होंने कांग्रेस के दूसरे नेताओं को इस बात के लिए राजी कर लिया
की खिलाफत आंदोलन के समर्थन और स्वराज के लिए एक असहयोग आंदोलन शुरू किया जाना चाहिए।
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