23 विभिन्न विचार सम्प्रेषित करने में संगीतकारों का क्या महत्त्व है?
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विभिन्न विचार संप्रेषित करने में संगीत अपनी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे हम गीत-संगीत के माध्यम से वसंत, वर्षा या अन्य किसी त्योहार के आगमन का उत्सव मनाते हैं। उस समय फसल पकने का भी उल्लास होता है, जिसे हम नृत्य-गीत संगीत के माध्यम से प्रकट करते हैं। इन विशिष्ट पलों के लिये विशिष्ट गीत-संगीत बनाये जाते हैं, जिनके बोल और ध्वनि से संबंधित उत्सव का आभास हो जाता है।
स्त्रियों द्वारा स्त्रियों से संबंधित तरह-तरह के गीत संगीत बेहद लोकप्रिय रहे हैं, जिनमें परदेस गए अपने पिया का दर्द प्रेमिका द्वारा व्यक्त किया गया है, तो शादी के बाद अपना मायका छोड़कर ससुराल आ गई कन्या की पीड़ा भी व्यक्त की जाती है। छोटे-मोटे घरेलू विषयों पर आधारित अनेक गीत-संगीत के माध्यम से स्त्रियां अपनी भावनाएं और विचार प्रकट करती रही हैं।
शास्त्रीय संगीत में विभिन्न तरह के गायन वादन के माध्यम से अलग-अलग विचार भाव प्रकट किए जाते रहे हैं। कहीं पर भक्ति की धारा बह रही है तो कहीं पर वीर रस से ओतप्रोत गीत-संगीत जोश बढ़ाने के लिए रचित किया जाता रहा है।
मध्यकाल में भक्ति कवियों और सूफी संतों की कविताएं उनके शिष्यों एवं अनुयायियों द्वारा खूब जोर-शोर से गाई जाती थी। इन गीत-संगीत के माध्यम से यह सभी ईश्वर के प्रति अपना प्रेम और निष्ठा प्रकट करते थे। कव्वालियां और भजन भी इसी तरह के धार्मिक संगीत का उदाहरण हैं। आजकल का फिल्म संगीत भी अपने विचारों व मनोभावों को संप्रेषित करने का प्रभावशाली माध्यम है।
इस तरह प्राचीनकाल से ही विभिन्न विचारों को संप्रेषित करने में संगीतकारों की उल्लेखनीय भूमिका रही है।
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