23. वस्तुओं के मानकीकरण का क्या अर्थ हैं? विभिन्न उत्पादों के मानकीकरण को प्रतीक चिन्हों से प्रदर्शित कीजिए ?
अथवा उपभोक्ता जागरूकता से क्या आशय हैं ?इसकी आवश्यकता हमें क्यों पड़ती हैं ? पनक देव मनित
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Answer:
कोमल शेट्ये
(लेखिका स्पर्धा परीक्षातज्ज्ञ आहेत.)
प्राकृतिक भूगोल
प्राकृतिक भूगोल हा भूगोल विषयाचा अत्यंत महत्त्वाचा घटक आहे. याचे भूरूपशास्त्र, हवामानशास्त्र, सागरशास्त्र, तसेच जैवभूगोल अशा चार उपघटकांत वर्गीकरण करता येते, तर सामाजिक भूगोल घटकात आपल्याला लोकसंख्या, त्याचे वितरण, स्थलांतर यांच्या संकल्पनांचे सखोल अध्ययन करावयाचे आहे. आर्थिक भूगोल या घटकात कृषी, पर्यटन, पायाभूत सुविधा, उद्योगधंदे, व्यापार किंवा वाहतूक सेवेचे स्वरूप. कारणे आणि परिणाम यांचे अध्ययन करावे. प्राकृतिक भूगोल घटकाची सुरुवात करताना सर्वप्रथम भौगालिक प्रक्रिया समजून घेऊन नंतर भूपृष्ठावरील भूरूपांचा अभ्यास करावा. एकदा सगळ्या संज्ञा-संकल्पना समजून घेतल्यानंतर जगातील प्रसिद्ध नद्या, पर्वत, पठार, सरोवरे यांचे अध्ययन करावे. भारत व महाराष्ट्राच्या बाबतीत याचे सखोल अध्ययन करावे. नकाशा वाचन
या घटकाचा अभ्यास करताना नकाशावाचनास प्राधान्य देणे सुज्ञपणाचे ठरते. कारण अशा प्रकारचे अध्ययन नेहमी नकाशामार्फत विश्लेषण करून केल्यास उपयुक्त ठरते.
वस्तुओं के मानकीकरण का क्या अर्थ हैं? विभिन्न उत्पादों के मानकीकरण को प्रतीक चिन्हों से प्रदर्शित कीजिए ?
वस्तुओं के मानकीकरण से तात्पर्य कृषि उत्पाद की गुणवत्ता के आधार पर उसके लिए एक निश्चित मानक निर्धारित करने से है। बाजार में अनेक तरह की गुणवत्ता की वस्तुएं उपलब्ध होती हैं। उपभोक्ता को किसी भी तरह के शोषण से बचाने के लिए सभी वस्तुओं को मानकीकृत किया जाता है ताकि उपभोक्ता वस्तुओं की गुणवत्ता को परख सके और उसी के अनुसार वस्तु को खरीद सके।
भारत सरकार की तरफ से कुछ ऐसी संस्थाएं हैं, जो इन वस्तुओं की गुणवत्ता को तय करती है और उसे प्रमाणित करती है।
उदाहरण के लिए...
आई एस आई : यह औद्योगिक एवं उपभोक्ता वस्तुओं की गुणवत्ता को निर्धारित करता है।
ऐग मार्क : यह कृषि उत्पाद की गुणवत्ता को निर्धारित करता है।
वूल मार्क : यह ऊन की वस्तुओं की गुणवत्ता को निर्धारित करता है।
हॉल मार्क यह सोने के आभूषणों की गुणवत्ता को निर्धारित करता है।
उपभोक्ता जागरूकता से क्या आशय हैं ?इसकी आवश्यकता हमें क्यों पड़ती हैं ?
उपभोक्ता जागरूकता से आशय किसी वस्तु को खरीदते समय या किसी सेवा को लेते समय अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहने से है। उपभोक्ता जागरूकता की आवश्यकता हमें इसलिए पड़ती है, क्योंकि हम किसी भी तरह के आर्थिक शोषण से स्वयं को बचा सकें। अपना जीवन स्तर उच्च कर सकें। किसी भी तरह की वस्तु के हानिकारक उपभोग से स्वयं को रोक सके तथा अपने पैसों की हानि होने से बचा सकें।