24. गुप्तों के राजस्व प्रशासन का संक्षिप्त विवरण दें।
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गुप्त प्रशासन राजतंत्रात्मक व्यवस्था पर आधारित था। देवत्व का सिद्वान्त गुप्तकालीन शासकों में प्रचलित था। राजपद वंशानुगत सिद्धान्त पर आधारित था। राजा अपने बड़े पुत्र को युवराज घोषित करता था।
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Answer:
गुप्तों का राजस्व प्रशासन: समय के अलावा गुप्त राज्य की आय का मुख्य स्रोत भू-राजस्व था। उपज के एक सिंक का दावा किया गया था क्योंकि शाही राजस्व 'उपरीकारा' (चुंगी) एक तरह का कर था जो कपड़े, तेल आदि पर लगता था, जब एक शहर से दूसरे शहर में ले जाया जाता था।
Explanation:
गुप्ता का राजस्व प्रशासन:
समय के अलावा गुप्त राज्य की आय का मुख्य स्रोत भू-राजस्व था। उपज के एक सिंक का दावा किया गया था क्योंकि शाही राजस्व 'उपरीकारा' (चुंगी) एक प्रकार का कर था जो कपड़े, तेल आदि पर लगाया जाता था, जब एक शहर से दूसरे शहर में ले जाया जाता था।
व्यापारी संगठन से सुल्का (वाणिज्यिक कर) लिया गया, जिसके विफल होने पर व्यापार का अधिकार रद्द कर दिया गया और मूल 'सुल्का' का अधिकतम आठ गुना जुर्माना लगाया गया।
शाही भूमि और जंगलों से सम्राट की आय उसके निजी खजाने में चली गई, उसे सिक्के के होर्डिंग, जवाहरात और अन्य मूल्यवान वस्तुओं के खजाने का अधिकार प्राप्त था। उन्होंने विस्थी (जबरन श्रम) के अधिकार का भी आनंद लिया। राजस्व प्रशासन को चलाने के लिए कई अधिकारियों को नियुक्त किया गया था।
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