Hindi, asked by shalini3687, 4 months ago

24 निम्नलिखित पद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
यही थी क्या उनकी पत्नी, जिसके हाथों में कोमल स्पर्श, जिसकी मुस्कान
(1) दर्दा रचनाए
याद में उन्ही सम्पूर्ण जावन काट दिया था उन्ह लगा कि वह लावण्यमया
युवती जीवन की राह में कही खो गई है. और उसकी जगह आज जो स्त्री है
वह उनके मन और प्राणों के लिए नितान्त अपरिचिता है।
वा “सभ्यता की वर्तमान स्थिति में एक व्यक्ति को दूसरे से वैसा भय तो नहीं
रहता जैसे पहले रहा करता था, पर एक जाति को दूसरी जाति, एक देश को
दूसरे देश से, भय के स्थायी कारण प्रतिष्टित हो गए है। सबल, और निर्बल
देशों के बीच अर्थ शोषण की प्रक्रिया अनवरत चल रही है, एक क्षण का विराम
नहीं है।"
निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या लिखिए।
3
" बानी जगरानी की उदारता बरवानी जाइ,
ऐसी मति उदित उदार कौन की भरी।​

Answers

Answered by shabbirhussain278691
7

Answer:

amazing good work do it

Explanation:

what 's your name

Answered by franktheruler
0

निम्नलिखित द्यांश की ससंदर्भ व्याख्या कीजिए।

“सभ्यता की वर्तमान स्थिति में एक व्यक्ति को दूसरे से वैसा भय तो नहीं रहता जैसे पहले रहा करता था, पर एक जाति को दूसरी जाति, एक देश को दूसरे देश से, भय के स्थायी कारण प्रतिष्ठित हो गए है। सबल, और निर्बल

हो गए है। सबल, और निर्बलदेशों के बीच अर्थ शोषण की प्रक्रिया अनवरत चल रही है, एक क्षण का विराम नहीं है।"

संदर्भ :

प्रस्तुत गद्यांश " भय " निबंध से लिया गया है। इस निबंध के रचयिता है प्रसिद्ध निबंधकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल।

प्रसंग:

यह प्रसंग आज की भय की बदली हुई परिभाषा के संदर्भ में है।

व्याख्या :

  • लेखक इस गद्यांश में यह सत्य उजागर करना चाहते है कि सभ्यता ने भय की परिभाषा बदल दी है। समाज में सभ्यता के विकास ने भय कम कर दिया है।
  • आज किसी को सीधे तरीके से दुख नहीं दिया जाता।।
  • एक देश दूसरे देश पर आक्रमण नहीं करता अपितु व्यापार के माध्यम से शोषण करता है।
  • पहले की तरह एक मनुष्य दूसरे मनुष्य से नहीं डरता। एक जाति दूसरी जाति को डराती है। एक देश दूसरे देश को डराता है।
  • दो बलवान देशों में प्रति स्पर्धा होती है। जो देश शक्तिशाली है , वह निर्बल देश का शोषण करता है।
  • इस व्यापारी प्रवृत्ति के साथ देशों की सरकारें भी मिल गई है। ये सारी बातें हमेशा चलती रहती है, क्षण भर भी इनसे मुक्ति नहीं मिल पाती।

निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या लिखिए।

निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या लिखिए।" बानी जगरानी की उदारता बरवानी जाइ,

निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या लिखिए।" बानी जगरानी की उदारता बरवानी जाइ,ऐसी मति उदित उदार कौन की भरी।

संदर्भ :

प्रस्तुत पद्यांश " सरस्वती वंदना " रचना से लिया गया है इसके रचयिता है महा कवि " केशवदास " ।

प्रसंग : यह प्रसंग मां सरस्वती की प्रशंसा करते हुए उनकी उदारता प्रकट करने का है।

व्याख्या :

  • कवि केशव दास जी कहते है कि इस सम्पूर्ण सृष्टि में ऐसी किसी की बुद्धि नहीं जो मां सरस्वती की महिमा को शब्दो में बखान कर सके। बड़े बड़े संतो महात्माओं, देवताओं ने मां सरस्वती की महिमा व उदारता को बखान करने का प्रयत्न किया परन्तु वे सभी इस कार्य में असफल रहे। भूतकाल, वर्तमान काल ने सरस्वती मां का बखान करने का प्रयत्न किया है परन्तु फिर भी सरस्वती मां की महानता का उचित बखान नहीं हो पाया है।

#SPJ3

Similar questions