Hindi, asked by vinaybista64, 4 months ago

24) निम्नलिखित दोहे के अर्थ लिखिए |
क) कहि रहीम संपति सो, बनत बहुत बहु रीत
विपति कसौटी जे कसे,तई साँचे मीत !
ख) धरती की-सी रीत है, सीत याम और मेह
जैसी परे सो सहि रटे, त्यों रहीम यह देट ||​

Answers

Answered by ranid0715
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Answer:

1.अर्थ : रहीम दास जी ने इस दोहे में सच्चे मित्र के विषय में बताया है। वो कहते हैं कि सगे-संबंधी रुपी संपत्ति कई प्रकार के रीति-रिवाजों से बनते हैं। पर जो व्यक्ति आपके मुश्किल के समय में आपकी मदद करता है या आपको मुसीबत से बचाता है वही आपका सच्चा मित्र होता है।

Explanation:

2. अर्थ : इस दोहे में रहीम दास जी धरती के साथ-साथ मनुष्य के शरीर की सहन शक्ति का वर्णन किया हैं। वो कहते हैं इस शरीर की सहने की शक्ति धरती समान है जिस प्रकार धरती सर्दी-गर्मी वर्षा की विपरीत परिस्तिथियों को झेल लेती है उसी प्रकार मनुष्य का शरीर भी जीवन में आने वाले सुख-दुख लप सहने की शक्ति रखता है।

Answered by lakhwinderduggal786
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Explanation:

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत। बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।। अर्थ - रहीम कहते हैं कि जब हमारे पास धन-संपत्ति होती है तो हमारे बहुत से मित्र और संबंधी बन जाते हैं परन्तु जो व्यक्ति संकट के समय सहायता करता है वही सच्चा मित्र होता है। जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह

धरती की सी रीत है, सीत घाम औ मेह। जैसी परे सो सहि रहै, त्‍यों रहीम यह देह॥ अर्थ- इस दोहे में रहीम दास जी ने धरती के साथ-साथ मनुष्य के शरीर की सहन शक्ति का वर्णन किया है। ... उसी प्रकार मनुष्य का शरीर भी जीवन में आने वाले सुख-दुःख को सहने की शक्ति रखता है।

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