25-छात्रावास में रहने वाले छोटे भाई को कोविड
महामारी से सचेत रहने के लिए पत्र लिखिए |
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Explanation:
प्यारी ईरा,
जन्मदिन मुबारक हो, मेरी प्यारी बेटी। आज 14 सितबंर 2019 है और जब मैं तुम्हें ये लेटर लिख रहा हूं तो मुझे ऐसा लग रहा है कि जैसे तुम कल ही पैदा हुई थी। जबकि आज तुम टीनऐज यानी किशोरावस्था में प्रवेश कर रही हो। मुझे यह स्वीकार करना होगा कि जिंदगी के इस नए चरण में क्या होगा, इसे लेकर मैं काफी घबराया हुआ था। हालांकि मैं उस दुनिया को लेकर काफी उम्मीदों से भी भरा हुआ हूं, जिसमें तुम कदम रखोगी और वो है- कोविड-19 के बाद 2020 में बनी एक नई दुनिया।

मुझे उन मुश्किल वर्षों के बारे में तुम्हें विस्तार से बताने दो। तुम साढ़े तीन साल की थी और तुम यह जानने के लिए काफी छोटी थी कि तुम्हारे आस-पास क्या हो रहा है। तुमसे उस समय सिर्फ बार-बार हाथ धोने, अपने चेहरे को नहीं छुने और सबसे मुश्किल काम- घर के अंदर रहने को कहा जा रहा था। हमने साथ में कार्टून देखे, खेला और किताबें पढ़ीं, लेकिन तुम्हें जल्द ही स्कूल की याद आने लगी थी। तुम हमेशा मेरी बांहों में सोना चाहती थी, मुझे पकड़े हुए।
उस संकट के समय में तुम्हारा साथ होना इकलौती ऐसी चीज थी, जिससे मुझसे सुकुन मिलता था। हालांकि एक दिन तुम्हारे एक मासूम से सवाल ने मेरे इस सुकुन को उड़ा दिया था।
"नन्ना (तेलुगु में 'पिताजी), जिन लोगों के पास पानी नहीं है वे कितनी बार अपना हाथ धोते हैं?" मुझे पता था कि इसका जवाब सैनिटाइजर नहीं है। जिन लोगों को पानी जैसी बुनियादी चीजों की किल्लत है, निश्नित ही उनके पास सैनिटाइज खरीदने का सामर्थ्य नहीं होगा।
वायरस पूरे ग्रह पर फैल गया था, जिसकी चपेट में लाखों-लाख आ गए थे। इसने हमें बताया कि हर किसी के पास उपचार और सुरक्षा की समान पहुंच नहीं थी और जो दुनिया हमने बनाई थी, वह सही नहीं थीं। हालांकि इस संकट ने वास्तविक बदलावों की बुनियाद भी रखी और हमें बताया कि हम सभी कैसे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और मानवता और प्रकृति के बीच संतुलन कितना नाजुक है।
इस भयानक वैश्विक महामारी के कहर को एक दशक हो चुके हैं। मैं इस पिछले एक दशक को देखते हुए तुम्हें यह बताना चाहता हूं कि तुम्हारे सामने अभी जो दुनिया है उसके लिए मैं इतना आशान्वित क्यों हूं।
Answer:
sorry I didn't know hindi