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विकेन्द्रीकरण क्या है ? इसके लिए भारतीय संविधान में
क्या व्यवस्था दी गई ? किन्हीं चार का उल्लेख
2 + 1 + 1 + 1 + 1
कीजिए।
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सामान्य भाषा में, विकेन्द्रीकरण का अर्थ है कि शासन-सत्ता को एक स्थान पर केन्द्रीत करने के बजाय उसे स्थानीय स्तरों पर विभाजित किया जाये, ताकि आम आदमी की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित हो सके और वह अपने हितों व आवश्यकताओं के अनुरुप शासन-संचालन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सके। यही सत्ता के विकेन्द्रीकरण का मूल आधार है। अर्थात् आम जनता तक शासन-सत्ता की पहुॅंच को सुलभ बनाना ही विकेन्द्रीकरण है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सारा कार्य एक जगह से संचालित न होकर अलग-अलग जगह व स्तर से संचालित होता है। उन कार्यों से सम्बन्धित निर्णय भी उसी स्तर पर लिये जाते हैं। तथा उनसे जुडी समस्याओं का समाधान भी उसी स्तर पर होता है। जैसे त्रिस्तरीय पंचायतों में निर्णय लेने की प्रक्रिया ग्राम पंचायत स्तर, क्षेत्र पंचायत स्तर एवं जिला पंचायत स्तर से संचालित होती हैं। विकेन्द्रीकरण को निम्न रूपों मे समझा जा सकता है।
विकेन्द्रीकरण वह व्यवस्था है जिसमें विभिन्न स्तरों पर सत्ता, अधिकार एवं शक्तियों का बंटवारा होता है। अर्थात केन्द्र से लेकर गांव की इकाई तक सत्ता, शक्ति व संसाधनों का बंटवारा। साथ ही हर स्तर अपनी गतिविधियों के लिए स्वयं जवाबदेह होता ह। हर इकाई अपनी जगह स्वतन्त्र होते हुये केन्द्र तक एक सूत्र से जुड़ी रहती है।
विकेन्द्रीकरण का अर्थ है विकास हेतु नियोजन, क्रियान्वयन एवं कार्यक्रम की निगरानी में स्थानीय लोगों की विभिन्न स्तरों में भागीदारी सुनिश्चित हो। स्थानीय इकाईयों व समुदाय को ज्यादा से ज्यादा अधिकार व संसाधनों से युक्त करना ही वास्तविक विकेन्द्रीकरण करना है।
विकेन्द्रीकरण वह व्यवस्था है जिसमें सत्ता जनता के हाथ में हो और सरकार लोगों के विकास के लिए कार्य करे।