25- सर्वाधिक मत के आधार पर जीत प्रणाली संक्षिप्त वर्णन करो?
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जिस व्यक्ति को सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं वही चुन लिया जाता है। इसलिए इसे 'सर्वाधिक मतप्राप्त व्यक्ति की विजय' (फर्स्ट पास्ट द पोस्ट) कहा जाता है। यह मतप्रणाली सबसे प्राचीन है। ब्रिटेन में तेरहवीं शताब्दी से ही यह प्रणाली प्रचलित रही है। राष्ट्रमंडल के देशों और अमेरिका में मतदान की यही सर्वसामान्य प्रणाली है। भारत में लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनावों में इसी प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।
यह प्रणाली सामान्यत: एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र प्रणाली से संबद्ध होती है। इस प्रणाली की आलोचना में तीन बातें कही जाती हैं। पहली यह कि इसके अंतर्गत सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाला उम्मीदवार निर्वाचित हो जाता है, भले ही निर्वाचक मंडल के काफी बड़े समुदाय ने उसके विरुद्ध मत दिए हों। अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा निर्वाचित होने पर भी वह विरुद्ध मत रखने वाले बहुसंख्यक समुदाय का भी प्रतिनिधि बन जाता है। भारत के 1952 के प्रथम निर्वाचन में अनेक विजयी उम्मीदवारों के मामले में यही हुआ था। दूसरी बात यह है कि यह प्रणाली ब्रिटेन के समान द्विदलीय परंपरा के ही अनुकूल होती है किंतु उससे दुर्बल और अल्पसंख्यक दलों का सफाया हो जाता हैं। उसमें विभिन्न प्रकार के अल्पसंख्यक समुदायों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व ही नहीं मिल पाता। तीसरी बात यह है कि यह प्रणाली प्राय: मतदाताओं के ऐसे समुदायों को जिन्हें थोड़ा ही अधिक बहुमत प्राप्त है, सदन में बहुत बढ़ा चढ़ाकर दिखाने में सहायक बन जाती है। संपूर्ण मतदान के अनुपात में किसी दल को मिलने वाले कुल मतों द्वारा उस दल के जितने सदस्य न्यायत: चुने जाने चाहिए उससे कहीं अधिक चुन लिए जा सकते हैं। 1952 के भारत के प्रथम आम चुनाव में यही हुआ था।