₹25000 पर 1 वर्ष के लिए 20 परसेंट प्रतिवर्ष के दर से मिश्रधन और चक्रवृद्धि ब्याज ज्ञात कीजिए जबकि ब्याज तिमाही देय है।
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यदि चक्रवृद्धि ब्याज त्रैमासिक अर्थात ब्याज जोड़ने की अवधि तिमाही होने पर वर्ष की संख्या को चार गुना और ब्याज की वार्षिक दर को चौथाई भाग कर दिया जाता हैं। क्योंकि 1 वर्ष = 4 × तीन माह और ब्याज की वार्षिक दर r होने पर, तिमाही दर = r/4.
जब हम किसी बैंक या व्यक्ति से रूपये उधार लेते हैं तो उस उधार लिए गए धन को अपनी अच्छानुसार प्रयोग करने के बदले में हम बैंक या व्यक्ति को उधार लिए गए धन की रकम तथा कुछ अतिरिक्त धन देते हैं यह अतिरिक्त धन ही ब्याज कहलाता हैं।
वह बैंक या व्यक्ति जिससे हम रुपया उधार लेते हैं, त्रणदाता या साहूकार (Iender) कहलाता हैं।
उधार लिया गया धन मूलधन (Principal) कहलाता है।
वह निद्रिष्ट अवधि जब तक के लिए रुपया उधार लिया गया हो समय (Time) कहलाता है।
वापस की गई राशि अर्थात मूलधन और ब्याज के सम्मिलित रूप को मिश्रधन (Amount) कहते हैं।
किसी धन पर ब्याज की राशि मूलधन, समय की अवधि तथा ब्याज की दर पर निर्भर करती हैं।
मूलधन, समय की अवधि तथा ब्याज की दर में निम्न प्रकार सम्बन्ध हैं।
ब्याज = (मूलधन × समय × दर )/100
निद्रिष्ट अवधि के अंत मे कुल मिश्रधन को निम्न प्रकार से निकला जाता हैं।
मिश्रधन = मूलधन + ब्याज
ब्याज देय होने पर ब्याज की राशि का तुरंत भुगतान किया जाता हैं, इस ब्याज की रकम को पुनः उधार देकर या दूसरी जगह लगाकर ब्याज प्राप्त किया जा सकता हैं।
इस प्रकार प्राप्त किये गए ब्याज को मूलधन में जोड़कर एक नया मूलधन प्राप्त होता हैं, जिसे पुनः उधार दिया जा सकता हैं या दूसरी जगह लगाया जा सकता हैं।