Political Science, asked by saakshi90, 3 months ago

26. बाजार अर्थव्यवस्था को शुरू करने के लिए चीन ने अपने पथ का अनुसरण
किया। चार उपयुक्त तर्कों से कथन को न्यायोचित ठहराइये।

Answers

Answered by alexzandertrowbridge
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Answer:

चार उपयुक्त तर्क हैं: - ए। चीनी शॉक थेरेपी के लिए नहीं गए, लेकिन उन्होंने अपनी अर्थव्यवस्था को कदम से कदम मिला दिया। बी कृषि का निजीकरण 1982 में शुरू हुआ और उसके बाद 1998 में उद्योग का निजीकरण हुआ। c। व्यापार बाधाओं को केवल विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में समाप्त किया गया था जहां विदेशी निवेशक उद्यम स्थापित कर सकते थे। डी चीन में, राज्य ने खेला और बाजार अर्थव्यवस्था स्थापित करने में केंद्रीय भूमिका निभाना जारी रखा।

Explanation:

Answered by Madhuri7271
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2008 में 21वीं सदी का पहला आर्थिक संकट आया था, अमरीका में घर ख़रीदने के लिए सस्ते कर्ज़ या मॉर्टगेज देकर बैंक और वित्तीय संस्थान फँस गए.
संकट अपने चरम पर पहुँचा 15 सितंबर 2008 को, जब एक बड़ा अमरीकी बैंक लीमैन ब्रदर्स दिवालिया हो गया, फिर दुनिया की आर्थिक सेहत का प्रतीक समझे जानेवाला अमरीकी शेयर सूचकांक डाउ जोंस ने साढ़े चार फ़ीसदी का गोता लगाया, और वहाँ से उपजी लहर ने देखते-देखते सारी दुनिया के बाज़ारों में उथल-पुथल ला दी. सारी दुनिया वैश्विक मंदी की चपेट में आ गई.
लेकिन जैसे हर आपदा में एक अवसर की भी संभावना होती है, 2008 की मंदी भी एशिया के दो देशों के लिए एक अवसर साबित हुई, भारत और चीन की आर्थिक तरक्की की कहानी पहले से ही चर्चा में थी, मंदी ने उस कहानी पर विश्वसनीयता की मुहर लगा दी.
सारी दुनिया में भारत और चीन का नाम गूँज उठा, कहा जाने लगा कि दुनिया को अगर आर्थिक मंदी के दौर से कोई निकाल सकता है तो उनमें सबसे आगे चीन और भारत होंगे.
और उसकी वजह भी थी. मंदी के अगले साल, यानी 2009 में दुनिया की कुल जीडीपी में 75 फ़ीसदी से ज़्यादा का योगदान करने वाले 19 देशों में से केवल पाँच देशों की जीडीपी बढ़ी. उनमें सबसे ऊपर था चीन, दूसरे नंबर पर था इस संकट ने दुनिया के आर्थिक क्लब में देशों की हैसियत को भी सदा के लिए बदल दिया. 2009 में जापान को पीछे छोड़ चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताक़त बन गया जहाँ वो अब भी डटा हुआ है, बल्कि वो अब अमरीका से होड़ लगाए हुए है.
वहीं भारत भी 2009 में रूस को पीछे छोड़ दुनिया की 10वें नंबर की अर्थव्यवस्था बन गया, और इसके बाद दसेक सालों के भीतर इटली, ब्राज़ील, फ़्रांस और ब्रिटेन जैसे दिग्गजों को छोड़ देखते-देखते दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया.
साल 2020 में दुनिया एक बार फिर आर्थिक मंदी में घिरी है, और इस बार संकट इंसान नहीं, कुदरत लेकर आई है.
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