27. कर्नाटक की वास्तुकला और शिल्पकला का वर्णन कीजिए?
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कर्नाटक राज्य की शिल्पकला अनोखी है। बादामी, ऐहोले, पट्टदकल्लु में जो मंदिर हैं, उनकी शिल्पकला और वास्तुकला अद्भुत हैं। बेलूर, हलेबीडु, सोमनाथपुर के मंदिरों में पत्थर की जो मूर्तियाँ हैं, वे सजीव लगती हैं। ये सुंदर मूर्तियाँ हमें रामायण, महाभारत, पुराणों की कहानियाँ सुनाती हैं।
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कर्नाटक की वास्तुकला और शिल्पकला का वर्णन निम्न प्रकार से किया गया है।
कर्नाटक की वास्तुकला-
- भारत की स्वतंत्रता के बाद भारत में बौद्ध विहारों में वस्तु शिल्प में परिवर्तन देखे गए।
- 1963 और 1997 के बीच तिब्बती शरणार्थियों के प्रवाह से बायल कूप में बौद्ध मठ में तिब्बती कला और स्थापत्य शैलियों को देखा गया।
- 1953 में बंगलौर में विद्या सौध बनाया गया।
- 1947 के बाद मुरुदेश्वर का सबसे लंबा मंदिर नव-द्रविड़ वास्तुशिल्प प्रभावों का
प्रत्यक्ष दर्शी है।
कर्नाटक की शिल्पकला -
- कर्नाटक के बादामी, ऐहोले, पट्टाकल्नु के मंदिर अद्भुत शिल्पकला व वास्तुकला से परिपूर्ण है।
- बेलूर, हलेबीड, सोमनाथ पुर में पत्थर की सजीव मूर्तियां है जो रामायण व महाभारत की कहानियां सुनाती है।
- मैसूर का राज महल कर्नाटक के वैभव का प्रतीक माना जाता है।
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