Social Sciences, asked by Anonymous, 3 months ago


28. एकीकृत स्टील उद्योग छोटे स्टील उद्योग से कैसे अलग हैं? उद्योग को
किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

Answers

Answered by itzPapaKaHelicopter
3

\huge \fbox \pink{"उत्तर}

  • छोटे इस्पात संयंत्र प्रायः कम निवेश के साथ निगमित किये जाते है। ये इस्पात संयंत्र इस्पात के कुछ मिश्रित धातुओं को विनिर्मित करते है। इसके लिये ये संयंत्र अन्य इस्पात के संयंत्रों से भी सहायता लेते हैं।

  • एक एकीकृत इस्पात संयंत्र सभी प्रक्रियाओं को एक ही स्थान पर पूर्ण करते हैं तथा ये विभिन्न प्रकार के इस्पात को विनिर्मित कर सकते हैं। इन संयंत्रों के निर्माण के लिये अधिक मात्रा में धन की आवश्यकता होती है। साथ ही ये बड़ी मात्रा में उत्पादन करने में सक्षम होते हैं।

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दो प्रकार के स्टील प्लांट के बीच अंतर

मानदंड ㅤㅤएकीकृत इस्पात संयंत्र

निर्माताㅤㅤ प्राथमिक उत्पादक, इसमें लोहा व इस्पात का ㅤㅤㅤㅤㅤㅤनिर्माण, ढलाई, मोटे तौर पर रोलिंग बिलेट रोलिंग ㅤㅤㅤㅤㅤऔर उत्पाद रोलिंग शामिल है।

आकार ㅤㅤआकार में बड़े

कच्चा ㅤㅤㅤमाल लौह अयस्क, चूना पत्थर और कोयला (या ㅤㅤㅤㅤㅤㅤकोक)

निवेश ㅤㅤनिवेश अधिक होता है और यह एक वृहद् उत्पादन ㅤㅤㅤㅤㅤइकाई के रूप में कार्य करता है

भारत में संख्या ㅤㅤㅤलगभग 5 एकीकृत सेल संयंत्र।

मिनी स्टील प्लांट

द्वितीयक निर्माता, कुछ विशिष्टताओं के कार्बन इस्पात और मिश्र धातु इस्पात का उत्पादन।

आकार आकार में बड़े आकर छोटा, बिजली की भट्टियाँ होती हैं, रद्दी इस्पात और स्पंज आयरन का उपयोग किया जाता है।

रद्दी इस्पात से लोहा, प्रयुक्त ऑटोमोबाइल और उपकरण या विनिर्माण के उपोत्पाद का पुनर्नवीनीकरण।

कम निवेश के साथ निगमित

भारत में लगभग 650 मिनी स्टील प्लांट।

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लौह और इस्पात उद्योग के समक्ष आने वाली समस्याएँ:

  • पूंजी: लोहे और इस्पात उद्योग में अधिक मात्रा में पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है जो भारत जैसे विकासशील देश के लिये कठिन है। सार्वजनिक क्षेत्र के कई एकीकृत इस्पात संयंत्र विदेशी सहायता के साथ स्थापित किये गए हैं।

  • निम्न उत्पादकता: देश में पूंजी-श्रम उत्पादकता इस्पात उद्योग के लिये 90-100 टन है, जबकि कोरिया, जापान और अन्य इस्पात उत्पादक देशों में यह 600-700 टन प्रति व्यक्ति है।

  • कम क्षमता का उपयोग: दुर्गापुर इस्पात संयंत्र अपनी कुल क्षमता का 50% ही इस्जोतेमाल कर पाटा है, इसका कारण हैं- हड़तालें, कच्चे माल की कमी, ऊर्जा संकट, अक्षम प्रशासन, इत्यादि।

  • भारी मांग: मांगों की पूर्ति हेतु भारी मात्रा में लोहे और इस्पात का आयात किया जाना। अमूल्य विदेशी मुद्रा को सुरक्षित रखने के लिये उत्पादकता को बढ़ाने की आवश्यकता है।

  • उत्पादों की कमज़ोर गुणवत्ता: कमज़ोर अवसंरचना, पूंजीगत निवेश और अन्य सुविधाएँ इस्पात बनाने की प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं, जिससे न केवल इस कार्य में अधिक समय लगता है बल्कि महंगें और दोयम दर्जे के उत्पाद तैयार होते है।

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‣हम आशा करते हैं कि आपको इस उत्तर से मदद मिली होगी।

 \\  \\  \\  \\  \\  \\  \\  \\ \sf \colorbox{gold} {\red★ANSWER ᵇʸ ⁿᵃʷᵃᵇ⁰⁰⁰⁸}

Answered by hinapakistani
3

Answer:

irazaaa wali i,,d use krrhy hain sbb tm b wahan ajaoo baat hojayegi tm se

Explanation:

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