دیا لیں کیا ہے
2दीन ए इलाही अकबर क्या है उर्दू में बताइए
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दीन-ए-इलाही 1582 ईस्वी में मुगल सम्राट अकबर द्वारा एक समरूप धर्म था, जिसमें सभी धर्मों के मूल तत्वों को डाला, इसमे प्रमुखता हिंदू एवं इस्लाम धर्म थे। इनके अलावा पारसी, जैन एवं ईसाई धर्म के मूल विचारों को भी सम्मलित किया। हाँलाँकि इस धर्म के प्रचार के लिए उसने ज्यादा कुछ नही किया केवल अपने विश्वस्त लोगों को ही इसमें सम्मलित किया। कहा जाता हैं कि अकबर के अलावा केवल राजा बीरबल ही मृत्यु तक इस के अनुयायी थे। दबेस्तान-ए-मजहब के अनुसार अकबर के पश्चात केवल १९ लोगों ने एस धर्म को अपनाया[1] कालांतर में अकबर ने एक नए पंचांग की रचना की जिसमें की उसने एक ईश्वरीय संवत को आरम्भ किया जो अकबर की राज्याभिषेक के दिन से प्रारम्भ होत था। उसने तत्कालीन सिक्कों के पीछे अल्लाहु-अकबर लिखवाया जो अनेकार्थी शब्द है। अकबर का शाब्दिक अर्थ है "महान" और "सबसे बड़ा"। अल्लाहु-अकबर शब्द के अर्थ है "अल्लाह (ईश्वर) महान हैं " या "अल्लाह (ईश्वर) सबसे बड़ा हैं"।[2] दीन-ऐ-इलाही सही मायनों में धर्म न होकर एक आचार सहिंता समान था। इसमें भोग, घमंड, निंदा करना या दोष लगाना वर्जित थे एवं इन्हें पाप कहा गया। दया, विचारशीलता और संयम इसके आधार स्तम्भ थे।