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33 निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
नाथ संनुधनु भजनिहारा। होइहि केउ एक दास तुम्हारा ।
आयेसु काह कहि किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही।।
सेवकु सो जो करे सेवकाई। अरिकरनी करि करिअलराई।
सुनहु राम जेहि सिक्नु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।
सो विलगाऊ बिहाइ समाजा। न त मारे जैहहिं सब राजा।।
सुनि मुनिवचन लखन मुसुकाने। बोले परसुधरहि अवमाने ।।
बहु धनुही तोरी लरिकाई। कबहु न असि रिस कीम्ति गोसाई।।
येहिं धनु पर ममता केहि हेतू। सुनि रिसाई कह भृगुकुल केतू।
रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि न सँभार।
धनुही सम त्रिपुरारिधनु विदित सकल संसार ।।
(क) काव्यांश के आधार पर परशुराम की स्वभावगत विशेषताएँ लिखिए।
(ख) परशुराम ने सेवक और शत्रु के बारे में क्या कहा और शिव धनुष तोड़ने वाले को किस प्रक
धमकाया।
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