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फसलों के त्योहार
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सारा दिन बोरसी के आगे बैठकर हाथ तापते हुए गुज़र जाता है।
कहाँ तो खिचड़ी के समय धूप में गरमाहट की शुरुआत होनी
चाहिए और यहाँ हम सूरज के इंतज़ार में आस लगाए बैठे हुए
हैं। पूरे दस दिन हो गए सूरज लापता है। आज सुबह तो रज़ाई
से निकलने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
बाहर देखने से तो समय का अंदाज़ा बिलकुल नहीं हो रहा लेकिन घर में हो
रही चहल-पहल अब पता चल रही है। रह-रहकर कानों में कभी चापाकल के
चलने और पानी के गिरने की आवाज़ तो कभी किसी के हाँक लगाने की आवाज़
आ रही थी, “जा भाग के देख केरा के पत्ता आइल की ना?"
आज ई लोग के उठे के नईखे का? बोल जल्दी तैयार होखस।"
अब तो उठने में ही भलाई है।
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tslusutltusraouraaourqor hearing from class8b to the morninggssggsmgsgsgsgsgsgsggstsyeyeeyeeyeyeehdyddhdhdd of gas to notes bhej diya aur wo bhi of gas ⛽⛽⛽⛽⛽ to the morninggssggsmgsgsgsgsgsgsggstsyeyeeyeeyeyeehdyddhdhdd of the morning and Sustainability is a good time
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