3 आज-कल बालिका शिशु भ्रूण हत्याएँ होने के क्या कारण हैं।
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कन्या भ्रूण हत्या के कारण
कन्या भ्रूण हत्या शताब्दियों से चला आ रहा है, खासतौर से उन परिवारों में जो केवल लड़का ही चाहते हैं। इसके पीछे विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक कारण भी है। अब समय बहुत बदल चुका है हालांकि, विभिन्न कारण और मान्यताएं कुछ परिवार में आज भी जारी है।
भ्रूण हत्या
कन्या भ्रूण हत्या के कुछ मुख्य कारण हैं:
आमतौर पर माता-पिता लड़की शिशु को टालते हैं क्योंकि उन्हें लड़की की शादी में दहेज़ के रुप में एक बड़ी कीमत चुकानी होती है।
ऐसी मान्यता है कि लड़कियां हमेशा उपभोक्ता होती हैं और लड़के उत्पादक होते हैं। अभिवावक समझते हैं कि लड़का उनके लिये जीवन भर कमायेगा और उनका ध्यान देगा जबकि लड़की की शादी होगी और चली जायेगी।
ऐसा मिथक है कि भविष्य में पुत्र ही परिवार का नाम आगे बढ़ायेगा जबकि लड़किया पति के घर के नाम को आगे बढ़ाती हैं।
अभिवावक और दादा-दादी समझते हैं कि पुत्र होने में ही सम्मान है जबकि लड़की होना शर्म की बात है।
परिवार की नयी बहु पर लड़के को जन्म देने का दबाव रहता और इसी वजह से लिंग परीक्षण के लिये उन्हें दबाव बनाया जाता है और लड़की होने पर जबरन गर्भपात कराया जाता है।
लड़की को बोझ समझने की एक मुख्य वजह लोगों की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी है।
विज्ञान में तकनीकी उन्नति और सार्थकता ने अभिवावकों के लिये इसको आसान बना दिया है।
केवल इसलिये कि जन्म लेने वाला बच्चा एक एक लड़की है, माँ के गर्भ से गर्भावस्था के 18 हफ्तों बाद स्वस्थ कन्या के भ्रूण को हटाना कन्या भ्रूण हत्या है। माता-पिता और समाज एक लड़की को उनके ऊपर एक बोझ मानते है और समझते है कि लड़कियां उपभोक्ता होती हैं जबकि लड़के उत्पादक होते हैं। प्राचीन समय से ही लड़कियों के बारे में भारतीय समाज में बहुत सारे मिथक हैं कि लड़कियां हमेशा लेती हैं और लड़के हमेशा देते हैं। वर्षों से समाज में कन्या भ्रूण हत्या की कई वजहें रहीं है।
हालांकि, नियमित तरीके से उठाये गये कुछ कदमों के द्वारा इसे हटाया जा सकता है:
चिकित्सों के लिये मजबूत नीति संबंधी नियमावली होना चाहिये।
हरेक को लिंग परीक्षण को हटाने के पक्ष में होना चाहिये और समाज में लड़कियों के खिलाफ पारंपरिक शिक्षा से दूर रहना चाहिये।
दहेज प्रथा जैसी समाजिक बुराईयों से निपटने के लिये महिलाओं को सशक्त होना चाहिये।
सभी महिलाओं के लिये तुरंत शिकायत रजिस्ट्रेशन प्रणाली होनी चाहिये।
आम लोगों को जागरुक करने के लिये कन्या भ्रूण हत्या जागरुकता कार्यक्रम होना चाहिये।
एक निश्चित अंतराल के बाद महिलाओं की स्थिति का मूल्यांकन होना चाहिये।
केवल एक लड़की होने की वजह से उसका समय पूरा होने के पहले ही कोख़ में एक बालिका भ्रूण को खत्म करना ही कन्या भ्रूण हत्या है।
भारतीय समाज के लोग लड़के से पूर्व सभी बच्चियों को मारने के द्वारा लड़का प्राप्त करने तक लगातार बच्चे पैदा करने के आदी थे। जनसंख्या नियंत्रण और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिये, कन्या भ्रूण हत्या और लिंग निर्धारण जाँच के बाद गर्भपात की प्रथा के खिलाफ भारतीय सरकार ने विभिन्न नियम और नियमन बनाये। गर्भपात के द्वारा बच्चियों की हत्या पूरे देश में एक अपराध है। चिकित्सों द्वारा यदि लिंग परीक्षण और गर्भपात कराते पाया जाता है, खासतौर से बच्चियों की हत्या की जाती है तो वो अपराधी होंगे साथ ही उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है। कन्या भ्रूण हत्या से निज़ात पाने के लिये समाज में लड़कियों की महत्ता के बारे में जागरुकता फैलाना एक मुख्य हथियार है।