3. आपके क्षेत्र में नया खुला साड़ी केंद्र के लिए विज्ञापन ।
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वर्तमान काल में वस्तुओं की बिक्री बढ़ाने एवं उनके उपभोग पर भरपूर जोर दिया जा रहा है। उत्पादक अपनी वस्तुओं की बिक्री द्वारा अधिकाधिक लाभ कमाना चाहते हैं तो उपभोक्ता उनका प्रयोग कर सुख एवं संतुष्टि पाना चाहता है। उपभोक्ताओं की इसी प्रवृत्ति का फायदा उठाने के लिए उत्पादक तरह-तरह के साधनों का सहारा लेते हैं। आज वस्तुओं की बिक्री बढ़ाने का प्रमुख हथियार विज्ञापन है। विज्ञापन शब्द ‘ज्ञापन’ में ‘वि’ उपसर्ग लगाने से बना है, जिसका अर्थ है-विशेष जानकारी देना। यह जानकारी उत्पादित वस्तुओं सेवाओं आदि से जुड़ी होती है। विज्ञापन में वस्तु के गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है, जिससे उपभोक्ता लालायित हों और इन्हें खरीदने के लिए विवश हो जाएँ। विज्ञापन के कारण उत्पादकों को अपनी वस्तुओं के अच्छे दाम मिल जाते हैं तो उपभोक्ता को वस्तुओं की जानकारी, तुलनात्मक दाम एवं चयन का विकल्प मिल जाता है। आजकल टी.वी., रेडियो के कार्यक्रम, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, भवनों की दीवारें विज्ञापनों से रंगी दिखाई पड़ती हैं।
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विज्ञापन-लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. कम से कम शब्दों में विज्ञापन होना चाहिए।
2. शब्दों में गागर में सागर भरने की क्षमता होनी चाहिए।
3. भाषा सरस, रोचक तथा प्रभावपूर्ण होनी चाहिए ।
4. विज्ञापन की भाषा काव्यात्मक हो तो बेहतर रहता है।
5. विज्ञापन की भाषा में मुहावरे तथा सूक्तियों का प्रयोग होने
से भाषा साधारण लोगों की समझ में भी आ जाती है।
6. रंगीन, आकर्षक एवं बड़े चित्र को जगह अवश्य देनी चाहिए।
7. प्रस्तुतीकरण सबसे अलग एवं नवीन हो।
8. उपभोक्ताओं को आकर्षित करने वाले शब्दों का प्रयोग
करना चाहिए।
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