3. आपने कबीर को पढ़ा है। ललयद महिला होते हुए भी धर्म की संकीर्णताओं पर वैसे ही प्रहार
करती हैं, जैसे कबीर। कबीर से तुलना
करते
हुए इनकी विशेषताएँ लिखिए।
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कबीर एक महान संत कवि थे। ललद्यद के वाओं के आव करीर -काव्य के अत्यंत लिके निकट प्रतीत होता है। लेकिन ललद्यद के काव्य में ईश्वर के प्रति एक विरह भाव भी है. जो कबीर काव्य में नहीं दिखाई देता उदाहरणार्थ जी मं उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।
ललदयद इसलिए भी कबीर से अधिक महत्व रखती है क्योंकि वे एक महिला है। उस काल में किसी महिला द्वारा इस प्रकार लेखन अत्यंत साहसिक कार्य था। धार्मिक आडंबरों व सामाजिक भेदभाव के विरोध के स्वर भी दोनों की वाणी में मुखरित हुए हैं, जैसे
"हिंदू मुआ राम कहि, मुसलमान खुदाइ । कटै कबीर सो जीवता, जो दुहुँ के निकटी निकटि न जाइ ॥"- कबीर "शल - थल में बसता है शिव ही, भेद न कर क्या हिंदू - मुसलमा:- ललद्यद
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