Hindi, asked by sonurote9826, 1 month ago

3 अक्लमंद बिल्ली उद्देश्य •अवसर का उचित समय पर उपयोग कर लेने की सीख देना। किसी को बातों पर बिना सोचे समझे विश्वास नहीं करना चाहिए यह सिखाना। हुआ उसे तोड़ने को- 'वाह, क्या खुशबू है ! ताज़ा मछली है न और वह भी नदी की।' सोचते-सोचते शाम हो गई। मछली की मुंडी को काटकर टुकड़े-टुकड़े करना उसने नहीं चाहा। बिना पलक डुलाए मछली को एकटक ताक रही थी। वह तय नहीं कर पाई कि आज खाएगी या कल! ठीक उसी समय दबे पाँव एक नेवला वहाँ आ पहुँचा। उसने बिल्ली से पूछा, अरे भाई, क्या ताक रही हो, कुछ है क्या?" बिल्ली ने सोचा-'यह तो बड़ी आफ़त आ गई। नेवले ने तो मुंडी को देख लिया है। अब वह ज़रूर मुझसे छीनकर सारी खा जाएगा। मेरे लिए हड्डी तक नहीं बचेगी।' इसलिए सोच-समझकर वह बोली, "भाई, मैं बड़े संकट में फंस गई हूँ। मेरे सामने यह जो मछली को # किसी को हानि पांचाए बिना यथावसर अपने हित की रक्षा करना अच्छा है तथा तत्काल बुद्धि मे आत्मरक्षा संभव है-यह संदेश देना। मैं इसे खा सकती हूँ और न ही यहाँ से जा सकती हूँ। यह सब इसके चारों ओर सुनसान। घरवाले नींद में थे। बिल्ली यह तय नहीं कर पाई कि वह मुंडी कहाँ ले जो यहाँ बैठा रखा है। एक दिन एक बिल्ली को किसी घर से रोहू मछली की एक मुंडी मिल गई। दोपहर का समर मंडी है, यह एक जादू की मुंडी है। इसने जादू के बल से मुझे पेड़ के ऊपर घसीटा है और इसलिए उसने मुंडी को दरवाजे के कोने में लुढ़काया और वहीं बैठकर भुनी मछली की सु जादू-मंतर का खेल है। मैं एक बेवकूफ़ निकम्मी बिल्ली बनकर रह गई हूँ। यहाँ से कैसे प्राण सौभाग्य का दिन है।' देर तक सोच-विचार के बाद उसने पक्का निश्चय कर लिया कि किसी पेड़द लेते-लेते वह सोचने लगी- 'इतनी बड़ी मुंडी मिलना तो भाग्य की बात है। आज का दिन जरूर उस बचाऊँ, यही सोच रही हूँ, इसके जादू के प्रभाव से मेरे अंग-अंग बेजान हो गए हैं।" छाया में मछली का मज़ा लेना चाहिए। वहाँ सन्नाटा होगा और कोई संकट न होगा। मुंडी को खब सावधानी से जबड़े में दबाकर वह आहिस्ता-आहिस्ता खिसकी। उसकी नज़रें चारों अं घूम रही थीं। कान चौकन्ने थे। वह एक बरगद के पेड के पास पहुंची। नीचे बैठकर खाना उसने पसंद न किया। सोचा- 'ऊपर चढ़ जाना चाहिए, ताकि किसी का डर न रहे। पत्तों के झुरमुट में छिपकर वह आरामा अपनी योजना के अनुसार वह पेड़ के ऊप खा सकेगी।' पहुँची। बिल्ल पत्तों-डालियों की ओट में जा ने रोहू की मुंडी को सामने रखकर गौर से एनिहारा- "वाह, कितनी सुंदर है। रोज़ में क्यों खाऊँ एक ही थोड़ा-थोड़ा करके तीन रोज़ खाई जा सकती है। एक तो मछली का स्वाद तीन रोज़ लिया जा सकता बिल्ली की बात सुनकर नेवला पहले डर गया। उसके सामने एक रोहू मछली को मुंडी है और बिल्ली का कहना है कि वह जादू की मछली है। उसे विश्वास नहीं हुआ। वह खाने को ललचाया। मुँह से लार टपकी। पर करे क्या! बिल्ली ने उसे ऐसा डरा दिया कि वह आगे कुछ सोच ही नहीं सकता। अगर वह मछली के पास आ जाए और उसके हाथ-पैर बिल्ली की तरह निकम्मे हो गए तो....? ऐसा निकम्मा बनकर बैठने से मछली न खाना ही बेहतर होगा। लेकिन क्या मछली का मोह उसे चैन से रहने देगा? यह सोचकर वह भी बिल्ली की तरह वहीं बैठा रहा और मुंडी को ताकता रहा। नेवले को एकटक मछली पर नज़र गड़ाए हुए बैठा देखकर बिल्ली ने सोचा-'शायद यह स्थान नहीं छोड़ेगा। मुंडी के लोभ में फँस गया है।' इसलिए वह चुपचाप बैठी रही। न पलकें डुलाती थी और न कोई अंग हिलाती थी। नेवले ने जमकर इंतजार किया। बिल्ली न हिली न डुली, बस ध्यान से मछली ताकती रही। उसे विश्वास हो गया कि सचमुच बिल्ली पर जादू का असर हुआ है। उसी वक्त जाने कहाँ से एक गिद्ध वहाँ आ पहुँचा। मछली की मुंडी देखकर उसके मुँह में भी पानी आ गया। पर क्या कारण है कि ये दोनों मांसाहारी यहाँ बेवकूफ़ की तरह इसे ताक रहे हैं। उसने नेवले से जानना चाहा, तो उसने बताया, “चुप.... भाई साहब, चुप रहो। ज़बान मत खोलो। यहाँ बैठना चाहते हो तो चुपचाप बैठो। वरना यहाँ से हटो।" गिद्ध छोड़नेवाला न था। उसने पूछा, "असल में मामला क्या है, बताओ न?" नेवला बोला, "तुम चुपचाप बैठो। मैं तुम्हें सारी बातें बताता हूँ। अरे भाई, मछली की यह मुंडी असली नहीं है। जादुई मुंडी है। इसने जादू-मंतर करके बिल्ली को पेड़ पर खींचा है। देखा नहीं, कैसे पत्थर की मूर्ति बनी बैठी है?


this is the half paregraph of chapter 3 akalmand billi

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Answered by bobalebsaloni36
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ky hai yae......

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