Hindi, asked by dawarrekha04, 8 months ago

3 बघेली और बुंदेली लोक साहित्य में अंतर बताइए।​

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Answered by Cutegirl609
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Answer:

बघेली या बाघेली बोली, की एक बोली है जो के क्षेत्र में बोली जाती है। बघेले राजपूतों के आधार पर तथा आसपास का क्षेत्र बघेलखंड कहलाता है और वहाँ की बोली को बघेलखंडी या बघेली कहलाती हैं। इसके अन्य नाम मन्नाडी, रिवाई, गंगाई, मंडल, केवोत, केवाती बोली, केवानी और नागपुरी हैं।

बघेली या बाघेली बोली, की एक बोली है जो के क्षेत्र में बोली जाती है। बघेले राजपूतों के आधार पर तथा आसपास का क्षेत्र बघेलखंड कहलाता है और वहाँ की बोली को बघेलखंडी या बघेली कहलाती हैं। इसके अन्य नाम मन्नाडी, रिवाई, गंगाई, मंडल, केवोत, केवाती बोली, केवानी और नागपुरी हैं।उद्भव

बघेली या बाघेली बोली, की एक बोली है जो के क्षेत्र में बोली जाती है। बघेले राजपूतों के आधार पर तथा आसपास का क्षेत्र बघेलखंड कहलाता है और वहाँ की बोली को बघेलखंडी या बघेली कहलाती हैं। इसके अन्य नाम मन्नाडी, रिवाई, गंगाई, मंडल, केवोत, केवाती बोली, केवानी और नागपुरी हैं।उद्भवबघेली बोली का उद्भव अपभ्रंश के ही एक क्षेत्रीय रूप से हुआ है। यद्यपि जनमत इसे अलग बोली मानता है, किंतु वैज्ञानिक स्तर पर पर यह की ही उपबोली ज्ञात होती है और इसे दक्षिणी अवधी भी कह सकते हैं।

बघेली या बाघेली बोली, की एक बोली है जो के क्षेत्र में बोली जाती है। बघेले राजपूतों के आधार पर तथा आसपास का क्षेत्र बघेलखंड कहलाता है और वहाँ की बोली को बघेलखंडी या बघेली कहलाती हैं। इसके अन्य नाम मन्नाडी, रिवाई, गंगाई, मंडल, केवोत, केवाती बोली, केवानी और नागपुरी हैं।उद्भवबघेली बोली का उद्भव अपभ्रंश के ही एक क्षेत्रीय रूप से हुआ है। यद्यपि जनमत इसे अलग बोली मानता है, किंतु वैज्ञानिक स्तर पर पर यह की ही उपबोली ज्ञात होती है और इसे दक्षिणी अवधी भी कह सकते हैं।के निवासियों द्वारा बोली जाने वाली बोली बुंदेली है। यह कहना बहुत कठिन है कि बुंदेली कितनी पुरानी बोली हैं लेकिन ठेठ बुंदेली के शब्द अनूठे हैं जो सादियों से आज तक प्रयोग में आ रहे हैं। बुंदेलखंडी के ढेरों शब्दों के अर्थ तथा बोलने वाले आसानी से बता सकते हैं।

बघेली या बाघेली बोली, की एक बोली है जो के क्षेत्र में बोली जाती है। बघेले राजपूतों के आधार पर तथा आसपास का क्षेत्र बघेलखंड कहलाता है और वहाँ की बोली को बघेलखंडी या बघेली कहलाती हैं। इसके अन्य नाम मन्नाडी, रिवाई, गंगाई, मंडल, केवोत, केवाती बोली, केवानी और नागपुरी हैं।उद्भवबघेली बोली का उद्भव अपभ्रंश के ही एक क्षेत्रीय रूप से हुआ है। यद्यपि जनमत इसे अलग बोली मानता है, किंतु वैज्ञानिक स्तर पर पर यह की ही उपबोली ज्ञात होती है और इसे दक्षिणी अवधी भी कह सकते हैं।के निवासियों द्वारा बोली जाने वाली बोली बुंदेली है। यह कहना बहुत कठिन है कि बुंदेली कितनी पुरानी बोली हैं लेकिन ठेठ बुंदेली के शब्द अनूठे हैं जो सादियों से आज तक प्रयोग में आ रहे हैं। बुंदेलखंडी के ढेरों शब्दों के अर्थ तथा बोलने वाले आसानी से बता सकते हैं।प्राचीन काल में बुंदेली में शासकीय पत्र व्यवहार, संदेश, बीजक, राजपत्र, मैत्री संधियों के अभिलेख प्रचुर मात्रा में मिलते है। कहा तो यह‍ भी जाता है कि और भी क्षेत्र के हिंदू राजाओं से बुंदेली में ही पत्र व्यवहार करते थे। ठेठ बुंदेली का शब्दकोश भी हिंदी से अलग है और माना जाता है कि वह पर आधारित नहीं हैं। एक-एक क्षण के लिए अलग-अलग शब्द हैं। गीतो में प्रकृति के वर्णन के लिए, अकेली संध्या के लिए बुंदेली में इक्कीस शब्द हैं। बुंदेली में वैविध्य है, इसमें का अक्खड़पन है और की मधुरता भी है।

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Answered by pmd43638
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Explanation:

बघेली या बाघेली बोली, की एक बोली है जो के क्षेत्र में बोली जाती है। बघेले राजपूतों के आधार पर तथा आसपास का क्षेत्र बघेलखंड कहलाता है

और वहाँ की बोली को बघेलखंडी या बघेली कहलाती हैं। इसके अन्य नाम मन्नाडी, रिवाई, गंगाई, मंडल, केवोत, केवातबोली, केवानी और नागपुरी हैं।

उद्भव

बघेली बोली का उद्भव अपभ्रंश के ही एक क्षेत्रीय रूप से हुआ है। यद्यपि जनमत इसे अलग बोली मानता है, किंतु वैज्ञानिक स्तर पर पर यह की ही उपबोली ज्ञात होती है और इसे दक्षिणी अवधी भी कह सकते हैं।

के निवासियों द्वारा बोली जाने वाली बोली बुंदेली है। यह कहना बहुत कठिन है कि बुंदेली कितनी पुरानी बोली हैं लेकिन ठेठ बुंदेली के शब्द अनूठे हैं जो सादियों से आज तक प्रयोग में आ रहे हैं। बुंदेलखंडी के ढेरों शब्दों के अर्थ तथा बोलने वाले आसानी से बता सकते हैं।

प्राचीन काल में बुंदेली में शासकीय पत्र व्यवहार, संदेश, बीजक, राजपत्र, मैत्री संधियों के अभिलेख प्रचुर मात्रा में मिलते है। कहा तो यह‍ भी जाता है कि और भी क्षेत्र के हिंदू राजाओं से बुंदेली में ही पत्र व्यवहार करते थे। ठेठ बुंदेली का शब्दकोश भी हिंदी से अलग है और माना जाता है कि वह पर आधारित नहीं हैं। एक-एक क्षण के लिए अलग-अलग शब्द हैं। गीतो में प्रकृति के वर्णन के लिए, अकेली संध्या के लिए बुंदेली में इक्कीस शब्द हैं। बुंदेली में वैविध्य है, इसमें का अक्खड़पन है और की मधुरता भी है।

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