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भारत के आर्थिक विकास में विनिर्माण क्षेत्रक की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
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स्वतन्त्रता के बाद भारत ने आर्थिक विकास के लिये समाजवादी आर्थिक नीतियों का अनुसरण किया। कई क्षेत्रों में तो भारत सरकार का एकमात्र अधिकार था। स्वतन्त्रता के उपरान्त तीन दशक तक भारत की प्रति व्यक्ति आय केवल १% प्रति वर्ष की दर से बढ़ी। ८० के दशक के मध्य से भारत ने अपने बाजार को धीरे-धीरे खोलना आरम्भ किया और आर्थिक उदारवाद के मार्ग पर चल निकला। 1991 ई के पश्चात और भी अधिक मूलभूत आर्थिक सुधार हुए। २००० के बाद आर्थिक सुधारों को और गति दी गयी और अब भारत मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था की दिशा में बहुत आगे निकल गया है।
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