3.
बहुत
दो बीज धरती की गोद में जा गिरे। मिट्टी ने उन्हें ढक दिया। दोनों रात में सुख की नींद सोए। प्रातःकाल
दोनों जगे तो एक के अंकुर फूट गए, वह ऊपर उठने लगा। यह देख छोटा बीज बोला- "भैया! वहाँ
भय है। लोग तुझे रौंद डालेंगे, मार डालेंगे।"
बीज सब सुनता रहा और चुपचाप ऊपर उठता रहा। धीरे-धीरे धरती की परत पार कर ऊपर निकल आया
और बाहर का सौंदर्य देखकर मुसकराने लगा। सूर्य देवता ने धूप स्नान कराया और पवन देव ने पंखा डुलाया।
वर्षा आई, शीतल जल पिला गई। किसान आया और बिस्तर लगाकर चला गया। बीज बढ़ता ही गया। झूमता,
लहलहाता, फूलता और फलता हुआ बीज एक दिन परिपक्व अवस्था में जा पहुँचा। जब इस संसार से बिदा
हुआ तो अपने जैसे असंख्य बीज छोड़कर हँसता और आत्मसंतोष का अनुभव कर रहा था।
मिट्टी के अंदर दबा बीज यह देखकर पछता रहा था। भय और संकीर्णता के कारण मैं जहाँ था, वहीं पड़ा
रहा और मेरा भाई असंख्य गुनी समृद्धि पा गया।
नीचे दिए गए सही विकल्पों के सामने सही (1) का चिह्न लगाओ-
(क) बीज को भय था कि-
(अ) उसे मिट्टी से ढक दिया जाएगा।
(ब) ऊपर जाने पर लोग उसे रौंदकर मार डालेंगे।
(स) सूर्य की रोशनी से वह जल जाएगा।
(द) पानी से भीग जाएगा।
द
(ख)
धरती के अंदर कितने बीज जा गिरे?
(अ) एक
(स) तीन
(ब) दो
(द) चार
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(a)(ब) ऊपर जाने पर लोग उसे रौंदकर मार डालेंगे।
(b)ब) दो
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ब नम्बर होगा सही उत्तर हैं
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