3. बस पर सवार करके यात्रियों को ग्लानि कब होने
लगा ?
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i can't understand what you are saying
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क्षीण चाँदनी में वृक्षों की छाया के नीचे जब वह बस किसी वृद्धा की तरह थककर रुक गई तो यात्रियों को ग्लानि होने लगी कि बेचारी पर लद कर क्यों आ रहे थे।
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