3. चील मांसाहारी पक्षी है। वैसे वह रोटी-पूड़ी आदि को भी झपटकर उसका भक्षण कर जाती है लेकिन किसी साँप
या चूहे को जब वह खेतों से उठाने का उपक्रम करती है तो उसका वह झपट्टा देखते ही बनता है। मरे साँप और
चूहों को ही नहीं, जीवित सर्प और दौड़ते चूहे भी अगर उसे किसी खेत में दिख जाएँ तो वह उनको तत्क्षण उठा ले
जाती है। उसकी चोंच बहुत मजबूत और तेज होती है। उसके पंजों के नख भी बहुत तीक्ष्ण होते हैं। इनसे वह लाए
हुए साँप और चूहों के शरीर को फाड़ देती है और तब आराम से उनका भोजन करती है। बहुत ऊपर उड़ते हुए भी
चील भूमि पर चलते हुए सर्प को देख सकती है। उसकी आँखें बहुत तेज होती हैं। वैसे अनेक बार वह मांस के टुकड़े
के धोखे में लाल पत्थर अथवा मरे हुए सर्प के धोखे में मोतियों की माला को उठा लेती है। इस तरह की अनेक चीजें
उसके घोंसलों में अकसर पाई गई हैं।
ऊँचे वृक्षों के बीच चील अपने घोंसले बनाती है। यह घोंसले सूखी टहनियों से बने होते हैं और कौवों के घोंसलों की अपेक्षा
आकार में बड़े होते हैं। अन्यान्य पक्षियों की बनिस्बत चील अपने घोंसलों के निर्माण में मोटी टहनियों का ही इस्तेमाल करती
है। काले रंग का छोटा भुजंगी पक्षी तो कौवे और चील दोनों का ही शत्रु है और दोनों ही उससे बहुत भयाक्रांत रहते हैं।
यह पक्षी इनके ऊपर-नीचे तेज़ी से उड़ान भरते हुए अपनी चोंच से उन पर अनवरत चोट करता रहता है।
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चील मांसाहारी पक्षी है। वैसे वह रोटी-पूड़ी आदि को भी झपटकर उसका भक्षण कर जाती है लेकिन किसी साँप
या चूहे को जब वह खेतों से उठाने का उपक्रम करती है तो उसका वह झपट्टा देखते ही बनता है। मरे साँप और
चूहों को ही नहीं, जीवित सर्प और दौड़ते चूहे भी अगर उसे किसी खेत में दिख जाएँ तो वह उनको तत्क्षण उठा ले
जाती है। उसकी चोंच बहुत मजबूत और तेज होती है। उसके पंजों के नख भी बहुत तीक्ष्ण होते हैं। इनसे वह लाए
हुए साँप और चूहों के शरीर को फाड़ देती है और तब आराम से उनका भोजन करती है। बहुत ऊपर उड़ते हुए भी
चील भूमि पर चलते हुए सर्प को देख सकती है। उसकी आँखें बहुत तेज होती हैं। वैसे अनेक बार वह मांस के टुकड़े
के धोखे में लाल पत्थर अथवा मरे हुए सर्प के धोखे में मोतियों की माला को उठा लेती है। इस तरह की अनेक चीजें
उसके घोंसलों में अकसर पाई गई हैं।
ऊँचे वृक्षों के बीच चील अपने घोंसले बनाती है। यह घोंसले सूखी टहनियों से बने होते हैं और कौवों के घोंसलों की अपेक्षा
आकार में बड़े होते हैं। अन्यान्य पक्षियों की बनिस्बत चील अपने घोंसलों के निर्माण में मोटी टहनियों का ही इस्तेमाल करती
है। काले रंग का छोटा भुजंगी पक्षी तो कौवे और चील दोनों का ही शत्रु है और दोनों ही उससे बहुत भयाक्रांत रहते हैं।
यह पक्षी इनके ऊपर-नीचे तेज़ी से उड़ान भरते हुए अपनी चोंच से उन पर अनवरत चोट करता रहता है।