3. "चली फगुनाहट, बौरे आम” कविता का भावार्थ लिखिए।
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चली फगुनाहट बोरे आम कविता का भावार्थ लिखिए
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chli फगुनाहट
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चली फगुनाहट, बौरे आम कविता का भावार्थ नीचे दिया गया है।
- "चली फगुनाहट, बौरे आम कविता के कवि है विवेकी रॉय।
- कवि कहते है कि फाल्गुन के महीने में मौसम से प्रभावित होकर वृद्घ भी युवाओं की तरह बर्ताव करने लगते है। चारो ओर मस्ती का माहौल छा जाता है। अंत किसी मौसम हा प्रभाव इतना व्यापक तथा मस्ती से भरा नहीं होता जितना फाल्गुन का मौसम होता है।
- कौआ आंगन ने कांव कांव की आवाज से मेहमान के आने की सूचना देता है। मेहमान के आने से लोग प्रसन्न होते है ।
- सभी लोग नाचते गाते है। झूमते है , नृत्य करते है। लोग मस्ती में डूब जाते है।
- फगुनाहट की हवा बहती है तो लोगो को गीत गाने की इच्छा होती है।
- फगुनाहट की लहर में दुख जैसे कुछ समय के लिए लुप्त हो जाते है व खुशी की लहर दौड़ उठती है।
#SPJ3
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