3. 'छोटी-से-छोटी वस्तु भी परिस्थिति विशेष में बड़ी महत्त्वपूर्ण होती है', इसलिए उसकी र
नहीं करनी चाहिए। यह भाव किस दोहे में व्यक्त हुआ है?
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कबीर अपने दोहे में उस घास तक की निंदा करने से मना करते हैं ,जो हमारे पैरों के तले होती है। कबीर के दोहे में 'घास' का विशेष अर्थ है। यहाँ घास दबे-कुचले व्यक्तियों की प्रतीक है। कबीर के दोहे का संदेश यही है कि व्यक्ति या प्राणी चाहे वह जितना भी छोटा हो,उसे तुच्छ समझकर उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए।
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