3 Essays on Lockdown: Paryawaran ke liye vardaan.
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कोविड-19 के देश में प्रवेश करने से लोगों में काफी हलचल सी मच गई। लोगों को बचाने के लिए सरकार को लॉकडाउन का सहारा लेना पड़ा। जिसका सकारात्मक प्रभाव से इंसानों पर ही नहीं बल्कि पेड़-पौधे जीव जंतु पर्यावरण पर विशेष रुप से देखा जा रहा है। पिछले 21 मार्च से लॉकडाउन लगभग 50 दिन पूर्ण होने वाले हैं। इन दिनों में पर्यावरण में 55 प्रतिशत शुद्धता आई है। पिछले 40 वर्षों में ऐसी कभी नहीं देखी गई थी। मई माह में लोग गर्मी की मौसम में 40 से 42 डिग्री सेल्सियस उच्चतम तापमान रहता था। लोग हवा के झोंका झेला करते थे। आज वहीं मई माह की मौसम लोगों के लिए खुशनुमा हो गया है। मई में लगभग नदियां कुएं तालाब सुख जाया करते थे परंतु आज प्रकृति लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। नदियों में निर्मल जल का प्रवाह हो रहा है वहीं कुआं और तालाब में भरपूर पानी होने के कारण फिलहाल पेयजल की समस्याओं से लोगों को जूझना नहीं पड़ रहा है, जो लोगों के लिए काफी राहत है। अगर पेड़ पौधे जीव जंतु पशु पक्षी की ध्यान दिया जाए तो इनके पुराने दिन भी लौट आए हैं। तोता, मैना, कोयल, गिलहरी, कौआ, गरैवा और कई प्रकार के तितलियां अब गांवों में भी विचरण करते देखे जा रहे हैं। पेड़ पौधे के पत्तों में गजब की चमचमाती हरी- हरी हरियाली देखने को मिल रही है। पर्यावरण को विशुद्ध करने में सहायक साबित हो रही है। लॉकडाउन के पूर्व भारी प्रदूषण के कारण जीव-जंतु, पशु-पक्षी शहरों में काफी कम देखा जाता था। परंतु आज वह शहरों की ओर भी आ रहे हैं। 50 दिनों में शहरों एवं गांव में बीमार पड़ने वाले मरीजों की संख्या में भी काफी गिरावट देखी जा रही है। जो आगामी दिनों के लिए काफी शुभ संकेत हैं। लॉकडाउन लगाए जाने के कारण प्रदूषण में आई अचानक गिरावट से लोगों में काफी खुशी देखी जा रही है। अब लोगों का मानना है की साल में एक बार कम से कम 20 दिनों के लिए लॉकडाउन नितांत आवश्यक है। प्रदूषण से होने वाली बीमारियां कम होगी जिसका सीधा लाभ हमारे देश पर भी पड़ेगा और सरकार को हजारों करोड़ रुपए की बचत भी होगी। इस लिए लोक डाउन वरदान है