3 essays on Lockdown: Paryawaran ke liye vardaan.
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वर्तमान में राजधानी रायपुर में पीएम-10 के आंकड़े मई महीने में 55 से 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही, वहीं पीएम 2.5 के आंकड़ों पर गौर करें तो यह आंकड़ा 45 से लेकर 48 माइक्रोग्राम प्रति घट मीटर है। देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शुमार होने वाले रायपुर में वायु प्रदूषण का यह आंकड़ा लॉकडाउन की वजह से काफी बेहतर मिला है।
रायपुर. छत्तीसगढ़ के अलग-अलग में क्षेत्रों वायु और जल प्रदूषण के हालातों पर गौर करें तो मार्च महीने से लेकर अब तक प्रदेश की आबोहवा बेहतर हुई है,लेकिन पानी अभी भी साफ नहीं हुआ है। प्रदेश की राजधानी रायपुर में तो वायु प्रदूषण के हालात 15 मई तक की स्थिति में 20 साल पीछे जा चुका था। अप्रैल, मई महीने की रिपोर्ट पर गौर करें तो यही स्थिति मिल रही है, जिसमें पीएम 10 और पीएम 2.5 की स्थिति 20 साल पीछे जा चुकी है।
वर्तमान में राजधानी रायपुर में पीएम-10 के आंकड़े मई महीने में 55 से 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही, वहीं पीएम 2.5 के आंकड़ों पर गौर करें तो यह आंकड़ा 45 से लेकर 48 माइक्रोग्राम प्रति घट मीटर है। देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शुमार होने वाले रायपुर में वायु प्रदूषण का यह आंकड़ा लॉकडाउन की वजह से काफी बेहतर मिला है। मार्च महीने के पहले जनवरी-फरवरी में पीएम-10 की स्थिति 90 से 100 माइक्रोग्राम प्रति घट मीटर थी, वहीं पीएम-2.5 की स्थिति भी 70 से 80 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही।
वाहनों की आवाजाही अभी सामान्य नहींं होने और उद्योगों में पूरी तरह उत्पादन नहीं होने की वजह से प्रदूषण का स्तर भी कम हुआ है। प्रदेश में 50 से 60 फीसदी प्रदूषण वाहनजनित वायु प्रदूषण से होता है। छत्तीसगढ़ के 30 वन क्षेत्र वाले जिलों में से एक जिले में वन क्षेत्र कम हुआ है। 2019 में 55,611 वर्ग किमी वन क्षेत्र था। राजधानी के पं. रविशंकर शुक्ल विवि के प्रोफेसर व पर्यावरण वैज्ञानिक शम्ज परवेज ने कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद फिर पुराने जैसे हालात होंगे। इसलिए हमे पर्यावरण की बेहतरी के लिए स्थायी उपाय ढंूढऩे होंगे। ईको र्फेडली सिस्टम अपनाना होगा।
पानी साफ नहीं इसलिए हर साल पीलिया
देश के जिन 7 राज्यों में सभी प्रकार के आठ भूजल प्रदूषक मिले है, उसमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है। राज्य के 19 जिलों में फ्लोराइड (1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर के स्तर से अधिक), 12 जिलों में नाइटे्रट(45 मिलीग्राम प्रति लीटर के स्तर से अधिक), एक जिले में आर्सेनिक (0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर के स्तर से अधिक), 17 जिलों में आयरन (1 मिलीग्राम प्रति लीटर के स्तर से अधिक), 1 जिले में लवणता (3000 माइक्रो एमएचओएस प्रति सेंटीमीटर के स्तर से अधिक इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी), लेड 1 जिले, कैडमियम 1 और क्रोमियम 1 जिले में मिला है। फ्लोराइड इतना अधिक होने से हड्डियों और दांतों का कमजोर, जोड़ों में दर्द और थाइराइड ग्रंथि को क्षति पहुंचती है। राजधानी में इस साल भी कई इलाकों में पीलिया के मरीज मिले हैं। ड्रेनेज सिस्टम, वाटर सप्लाई पाइप-लाइन, वेस्ट मैनेजमेंट का बेहतर क्रियान्वयन नहीं होने की वजह से राज्य में यह हालात हैं।
85 फीसदी भूजल सिंचाई में दोहन
छत्तीसगढ़ में 44.43 फीसदी भूजल दोहन हो जाता है। 85 फीसदी सिंचाई के लिए इस्तेमाल हो जाता है। 14 फीसदी भूजल घरेलू और 1 फीसदी उद्योगों में इस्तेमाल होता है। उद्योगों द्वारा प्रवाहित गंदे पानी का प्रवाह भी नालों के माध्यम से नदियों में होने की वजह से पीने के पानी के साथ ही भू-जल भी प्रदूषित हो रहा है। यह सच है कि वर्ष 2017 के मुकाबले पर्यावरण अपराधों में अपेक्षाकृत कमी दर्ज की गई है।
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