Hindi, asked by rajdutta5298, 7 months ago

3.गिरिजों, पादरियों, धर्मगुरुओं व
संतों की भूमि की किस शहर को
कहा जाता है? ch-father bolka ​

Answers

Answered by kmadval
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Explanation:

भारत वर्ष संतों की भूमि है। संतों के बताए रास्ते पर चलकर ही सामाजिक बुराईयों से छुटकारा पाया जा सकता है। यह बात कृषि एवं पंचायत विकास मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने मंगलवार को दादरी के साथ लगते कपूरी की पहाड़ी में ब्रह्मलीन संत पालनाथ की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए कही। विशाल समारोह में विश्व के कोने-कोने से नाथ सम्प्रदाय के नामधारी संतों के अलावा हजारों की संख्या में साधु-संत शामिल हुए। संत समागम से पूर्व कृषि मंत्री ने मंदिर में ब्रह्मलीन संत पालनाथ की समाधि स्थल पर प्रतिष्ठित की गई प्रतिमा के समक्ष मत्था टेका। कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 6 से 10 दिसम्बर तक कुरूक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मनाया गया। सरकार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश की युवा पीढ़ी में गीता के ज्ञान का संचार करना है। युवा पीढ़ी को गीता का ज्ञान होना जरूरी है क्योंकि गीता जीवन का निर्माण करती है। जो गीता को नियमित रूप से पढ़ता है, वह जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को पार कर जाता है। गीता से कर्म करने का संदेश मिलता है। गीता हमेशा अच्छा कर्म करने का संदेश देती है। हमें वही कर्म करना चाहिए, जिसे करने में हमारा मन लगे। कर्म करते रहने से ही लक्ष्य प्राप्त होता है। कृषि मंत्री ने अपने निजी कोष से कपूरी पहाड़ी स्थित गौशाला के लिए 11 लाख रूपये की राशि देने की घोषणा की। कार्यक्रम में उपस्थित बाढ़ड़ा के विधायक सुखविन्द्र मांढ़ी ने कहा कि आज वो बाबा पाल नाथ के आशीर्वाद से ही यहां तक पहुंच पाए हैं। धर्म को जनता के दिलों में जीवित रखने के उद्देश्य से ही प्रदेश सरकार द्वारा गीता महोत्सव का ब्लॉक स्तर पर आयोजन किया गया है।

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गोसेवा से बढ़कर पुण्य नहीं : आदित्य नाथ

कपूरी पहाडी आश्रम में आयोजित समारोह में विश्व के कोने-कोने से संत एवं श्रद्धालु शामिल हुए। इस मौके पर समारोह में मुख्य रूप से पहुंचे गोरखपुर पीठ के महंत व सांसद आदित्य नाथ ने कहा कि यहां गौशाला में गोवंश का संरक्षण बेहद सराहनीय है। हर ¨हदू ही नहीं मानव मात्र का कर्तव्य है कि वह गोवंश संरक्षण के लिए प्रयास करे। गो, संत सेवा से भी जीवन धन्य होता है। कार्यक्रम में अस्थल बोहर पीठ के महंत व अलवर से सांसद चांदनाथ, फतेहपुर शेखावटी पीठ के महंत नरहरि नाथ, पुजारी राजू नाथ सहित नाथ सम्प्रदाय के हजारों साधुओं को कपूरी पहाड़ी आश्रम के महंत कृष्ण नाथ के सानिध्य में स्वागत किया गया।

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राजनेता भी पहुंचे कार्यक्रम में

पिछले छह दिन से यहां आयोजित पूजा-पाठ एवं विश्व मेले में लाखों की संख्या में संत एवं श्रद्धालु पहुंचे। मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा, भंडारे एवं संत विदाई के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। मंगलवार को संत समाज के अलावा विभिन्न दलों के राजनेताओं ने भी शिरकत की और संतों से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर

पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान, भाजपा जिला अध्यक्ष रामकिशन शर्मा, कुंदन शर्मा, कर्मबीर नांधा, हंसराज फौगाट इत्यादि सहित अनेक गणमान्य नागरिक एवं आश्रम के सेवक मौजूद थे।

सत्संग, भंडारे में उमड़े लाखों

छह दिन से आश्रम परिसर में विशाल मेले का आयोजन रहा। वहीं मंगलवार को रुद्र महायज्ञ एवं विशाल भंडारे में संत समाज सहित लाखों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। सभी ने ब्रह्मलीन संतों की समाधि पर मत्था टेका और कुशलमंगल की कामनाएं की। गांव के बस स्टाप से मंदिर तक रास्तों एवं पूरी पहाड़ी को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया वहीं रात के समय विशाल सत्संग में लोक कलाकारों ने संतों की महिमा का गुणगान किया।

संतों की तपो भूमि है कपूरी आश्रम : सतपाल

पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान ने कहा कि किसी भी धार्मिक, सामाजिक आयोजन को राजनैतिक रूप से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संतों ने मानव मात्र के कल्याण के प्रयास किए है। कपूरी आश्रम लाखों लोगों की श्रद्धा एवं विश्वास का केन्द्र है। यह संतों की तपो भूमि है। जिसमें वर्ग, जाति, धर्म नहीं बल्कि आस्था का महत्व रहा है। वह परंपरा कायम रहनी चाहिए।

Answered by SUNITASHAH
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Answer:

bhaiya ji ya toh hindi me ya toh english me likho

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