Hindi, asked by CRAZyJT, 11 months ago

3. गायत्री की महिमा का वर्णन कीजिए।

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Answered by abrarulhaque50485
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Answer:

गायत्री मंत्र की महिमा महान है ,आत्मसाक्षात्कार के जिज्ञासुओं के लिए यह मंत्र इश्वारिये वरदान है ,केवल गायत्री मंत्र ही ,बिना समर्थ गुरु के सतत सानिध्य के बिना आत्मसाक्षात्कार करने में समर्थ है .गायत्री मंत्र का जप ,शापोद्धार मंत्र करके ही करना चाहिए .अगर शापोद्धार मंत्र नहीं करते हैं तो अपने गुरु का अस्मरण कर ले .गुरु अस्मरण कर लेने से विश्वामित्र और वाशिस्था जी के शाप से मुक्त हो जाती है गायत्री मंत्र .कलशे में जल भरकर नारियल का स्थापना गुरु के स्वरुप में करने से ,और पूजा करने से शापोद्धार होता है ,मानसिक जप के लिए कोई बंधन नहीं होता .मानसिक जप कही भी किसी भी इस्थिति में किया जा सकता है .

गीता ,गंगा और गायत्री प्रभु की तिन अह्लाद्ज्नी शक्तियां हैं जो ,ममतामई ,परमपवित्रा और पतितपावनी हैं .इन से जिव पाप मुक्त हो ,शुद्ध बुद्धि होता है जिससे इश्वर तत्वा का ज्ञान प्राप्त होता है .बुद्ध पुरुषों का कहना है -की ओमकार जो इश्वर का आदि नाम है समर्थ गुरु के सतत सानिध्य के बिना आत्मसाक्षात्कार नहीं करा सकतें .श्रीमाद्भाग्वात महापुराण में श्री वेदव्यास जी ने भी गायत्री जप को विशिस्थ बताया है .गायत्री को गुरु मंत्र कहा गया है .

अगर पिता को राजी करने का तरीका माँ से अच्छा और कौन बता सकता है ? माँ गायत्री इतनी ममतामई है ,की वे अपने बालकों को ज्यादा देर विलखते नहीं दर्ख सकती अतः वे शीघ्र ही सुधि लेतीं हैं .वे प्रसन्न होने पर अपने बालकों को चारों पुरषार्थ (धर्मं ,अर्थ ,काम और मोक्ष )का तुरंत ही दान कर देतीं हैं माँ गायत्री को कामधेनु की संज्ञा भी दी जाती है .भगवान कृष्ण कहतें है ,छंदों में गायत्री मई ही हूँ .

माता गायत्री की महिमा वर्णन करना असंभव है .जसे ,-"सत समुन्द्र को मसि करो ,लेखनी सब बन राइ ,धरती को कागज करो ,हरी गुण लिखा न जाए ."प्रभु की महिमा से थोरा भी कम नहीं है माँ की महिमा .हमे तो अपने को माँ की ममतामई आँचल की छाव में रखना है .

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