Hindi, asked by ritikvarshney61, 6 hours ago


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हमारे हरि हारिल की लकरी।
मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी।
जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री।
सुनत जोग लागत है ऐसौ. ज्यों करुई ककरी।
सु तो व्याधि हमकों ले आए, देखी सुनी न करी।
यह तो 'सूर' तिनहि ले सौंपौ, जिनके मन चकरी।।
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हरि है राजनीति पढि आए।
समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।
इक अति चतुर हुते पहिले ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।
बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।
ऊधौ भले लोग आगे के पर हित डोलत धाए।
अब अपने मन फेर पाइहैं, चलत जु हुते चुराए।
ते क्यों अनीति करें आपुन, जे और अनीति छुड़ाए।
राज धरम तो यहै 'सूर', जो प्रजा न जाहिं सताए।।
please tell the alankar in these lines...​

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Answered by leesan55
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Answer:

what is this I didn't understand sorry dude

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