Hindi, asked by hasanayesha999, 3 months ago

3.
इस पाठ के शीर्षक 'शाप-मुक्ति' के औचित्य पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।​

Answers

Answered by rudrajayaswal0
1

Answer:

उसने दादी से कहा, “मैंने बचपन में पिल्लों की आँखें फोड़कर जो पाप किया वह मुझे याद है। उस पाप के प्रायश्चित्त में ही मैं नेत्र चिकित्सक बना। ... तुम्हारी आँखों की ज्योति हमेशा बनी रहे। इस प्रकार डॉ० प्रभात को दादी के शाप से मुक्ति मिली।

Answered by adityachaudhary64
0

Answer:

Thank you for your answer

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