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"जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम ।।
दोऊ हाथ उलीचिए, यही सयानो काम ।।"
- इस दोहे में धन के अर्थ में 'दोऊ हाथ उलीचिए' से क्या अभिप्राय है?
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"जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम ।।
दोऊ हाथ उलीचिए, यही सयानो काम ।।"
- इस दोहे में धन के अर्थ में 'दोऊ हाथ उलीचिए' से क्या अभिप्राय
दोऊ हाथ उलीचिए का अर्थ है हमें दोनों हाथों से दान कर देना चाहिए|
उपर्युक्त पंक्ति का आशय यह है कबीरदास जी कहते हैं , कि जिस प्रकार नाव में पानी भरने से नाव डूबने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में हम दोनों हाथ से नाव का पानी बाहर फेंकने लगते है। ठीक वैसे ही घर में धन बढ़ जाने पर हमें दोनों हाथों से दान करना चाहिए। तो जल्दी से जल्दी दोनों हाथो से उससे बहार निकलना चाहिए , यानि दान करना चाहिए यही समझदारी का काम है|
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मन रे तन कागद का पुतला।
लागै बूँद बिनसि जाइ छिन में, गरब कर क्या इतना।
इसका अर्थ
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