Hindi, asked by p22143544, 12 hours ago

3- जैसे को तैसा शीर्षक का प्रयोग करते हुए एक लघु कथा का लेखन करें।​

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Answered by shubhangibaghele1
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Answer:

जैसे को तैसा कहानी

Explanation:

एक स्थान पर जीर्णधन नाम का बनिये का लड़का रहता था । धन की खोज में उसने परदेश जाने का विचार किया । उसके घर में विशेष सम्पत्ति तो थी नहीं, केवल एक मन भर भारी लोहे की तराजू थी । उसे एक महाजन के पास धरोहर रखकर वह विदेश चला गया । विदेश से वापिस आने के बाद उसने महाजन से अपनी धरोहर वापिस मांगी । महाजन ने कहा- “वह लोहे की तराजू तो चूहों ने खा ली ।”

बनिये का लड़का समझ गया कि वह उस तराजू को देना नहीं चाहता । किन्तु अब उपाय कोई नहीं था । कुछ देर सोचकर उसने कहा -“कोई चिन्ता नहीं । चुहों ने खा डाली तो चूहों का दोष है, तुम्हारा नहीं । तुम इसकी चिन्ता न करो ।” थोड़ी देर बाद उसने महाजन से कहा- “मित्र ! मैं नदी पर स्नान के लिए जा रहा हूँ । तुम अपने पुत्र धनदेव को मेरे साथ भेज दो, वह भी नहा आयेगा ।” महाजन बनिये की सज्जनता से बहुत प्रभावित था, इसलिए उसने तत्काल अपने पुत्र को उनके साथ नदी-स्नान के लिए भेज दिया ।

बनिये ने महाजन के पुत्र को वहाँ से कुछ दूर ले जाकर एक गुफा में बन्द कर दिया । गुफा के द्वार पर बड़ी सी शिला रख दी, जिससे वह बचकर भाग न पाये । उसे वहाँ बंद करके जब वह महाजन के घर आया तो महाजन ने पूछा- “मेरा लड़का भी तो तेरे साथ स्नान के लिए गया था, वह कहाँ है ?” बनिये ने कहा- “उसे चील उठा कर ले गई है ।” महाजन- “यह कैसे हो सकता है ? कभी चील भी इतने बड़े बच्चे को उठा कर ले जा सकती है ?”बनिया- “भले आदमी ! यदि चील बच्चे को उठाकर नहीं ले जा सकती तो चूहे भी मन भर भारी तराजू को नहीं खा सकते । तुझे बच्चा चाहिए तो तराजू निकाल कर दे दे ।” इसी तरह विवाद करते हुए दोनों राजमहल में पहुँचे । वहाँ न्यायाधिकारी के सामने महाजन ने अपनी दुःख-कथा सुनाते हुए कहा कि, “इस बनिये ने मेरा लड़का चुरा लिया है ।”

धर्माधिकारी ने बनिये से कहा- “इसका लड़का इसे दे दो । बनिया बोल- “महाराज ! उसे तो चील उठा ले गई है ।” धर्माधिकारी- “क्या कभी चील भी बच्चे को उठा ले जा सकती है ?” बनिया – “प्रभु ! यदि मन भर भारी तराजू को चूहे खा सकते हैं तो चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है ।” धर्माधिकारी के प्रश्‍न पर बनिये ने अपनी तराजू का सब वृत्तान्त कह सुनाया ।

Answered by aggarwalbookdepotddn
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Explanation:

एक धनवान व्यक्ति दुकान चलाता था, उसका एक पुत्र था, उसके पिता जी के चले जाने के बाद, उसका पुत्र दुकान चलाता था। उसे सभी ठग लेते थे, अतः दिन प्रतिदिन उसका सामान घटता गया ,और तराजू शेष बचा गया। वह तराजू को गिरवी रख कर, पैसे लेकर शहर जाना चाहता था, ताकि वह अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सके। वह सेठ के पास गया ,और गिरवी रख कर पैसे लिया ,और शहर चला गया।

           कुछ साल बाद वह धनवान हो गया। वापस गांव में आया तो वह पुनः सेठ के पास गया ,और तराजू मांगने लगा । सेठ तराजू नही देना चाहता था । उसने यह कह कर टाल दिया कि तुम्हारा तराजू चूहा खा गया है। तराजू मूल्यवान था, और यही उसके पिता जी की निशानी थी। उसने मन ही मन में ठान लिया की अब सेठ को उसी की भाषा में समझाऊंगा।

          कुछ दिन बाद वह गंगा स्नान के लिए जा रहा था । वह सेठ के पास गया और और उससे आग्रह किया की वह अपने पुत्र को हमारे साथ भेज दे। सेठ ने अपने पुत्र को उसके साथ भेज दिया। वह ,उस के पुत्र को एक कोठरी में ले जा कर बंद कर दिया। कुछ समय बाद वह अकेले ही वापस लौटा । जब वह वापस आया तो सेठ ने अपने पुत्र के बारे में पूछा कि वह कहा है, तो उसने उत्तर दिया की उसके बेटे को चील उठा ले गया। यह सुन कर वह आश्चर्य चकित हो गया की, आखिर एक चील मेरे बेटे को कैसे उठा सकता है। सेठ ने उससे यही प्रश्न किया। आखिर एक चील मेरे पुत्र को कैसे उठा सकता है ? ये कैसा मजाक कर रहे हो ! उसने उत्तर दिया जिस तरह एक चूहा तराजू खा सकता है ,उसी तरह एक चील भी आपके पुत्र को ले जा सकता है।

               यह बात वहां के राजा तक पहुँची। यह सुन कर वह हँसने लगे और सेठ को वह तराजू लौटने को कहा ताकि वह अपने पुत्र को वापस ला सके।

              दोस्तों हमे कभी भी विनम्रता पूर्वक बात करनी चाहिए और जहां आवश्यक हो वहाँ विवेकपूर्ण कार्य करना चाहिए।

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