(3) जाति और श्रम विभाजन में बुनियादी अंतर क्या है? "श्रम विभाजन और जाति-प्रथा” पाठ
के आधार पर लिखिए।
ना
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सभ्य समाज में श्रम-विभाजन आवश्यक है परंतु श्रमिकों के वर्गों में विभाजन आवश्यक नहीं है। जाति-विभाजन में श्रम-विभाजन या पेशा चुनने की छूट नहीं होती जबकि श्रम-विभाजन में ऐसी छूट हो सकती है। जाति-प्रथा विपरीत परिस्थितियों में भी रोजगार बदलने का अवसर नहीं देती, जबकि श्रम-विभाजन में व्यक्ति ऐसा कर सकता है।
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1 जाति विभाजन श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिकों का भी विभाजन करती है।
2 सभी समाज में श्रम विभाजन हो सके परंतु श्रमिकों के वर्गों में विभाजन आवश्यक नहीं है।
3 जाति विभाजन में श्रम विभाजन का पेशा चुनने की छूट मिलती है जबकि श्रम विभाजन में ऐसी छूट हो सकती है।
4 जाति प्रथा विपरीत परिस्थितियों में भी रोजगार का अवसर नहीं देती जबकि श्रम विभाजन में व्यक्ति ऐसा कर सकता है।
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