Hindi, asked by sujalnikam8, 23 days ago


3) “जीवन में देशसेवा का महत्त्व" इस विषय पर अपने विचार लिखिए।

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Answered by ojas2126
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देशभक्ति की भावना लोगो में अंर्तमन में विधमान रहती है और यह लोगो के देश के प्रति असिम प्रेम और आत्मसमर्पण की भावना को प्रदर्शित करती है। दूसरे शब्दों में, देशभक्त वो व्यक्ति होता है जो अपनी मातृभूमि और उसके लोगों और राजनीतिक व्यवस्था के प्रति वफादार रहकर उसके विकास के लिए कार्य करता है। हालांकि देशभक्ति विश्व के सभी प्रकार के प्रेमो से बढ़कर होती हैं। देशभक्ति सत्ता से जुड़े लोगों या व्यक्तियों के शब्दों का पालन करना नहीं होता है बल्कि ये देश और उसकी राजनीतिक व्यवस्था के प्रति वफादारी को प्रदर्शित करता है, न कि किसी भी राजनीतिक नेता या सत्ता की ओर अपना ध्यान आकृष्ट करता है।प्रत्येक देश के नागरिक के मन में अपने देश के लिए सर्वस्व अर्पण करने की भावना होती है । उसमें मातृभूमि के ऋण को चुकाने के लिए बलिदान की भावना होनी चाहिए ।

इस उद्देश्य की प्राप्ति केवल सेना मैं भर्ती होकर सीमा सुरक्षा के द्वारा ही नहीं होती । कई और तरीकों से भी अपनी योग्यता, रुचि और अभिरुचि के अनुरूप व्यक्ति देश के बहुमुखी विकास में योगदान दे सकता है । मेरा मन भी देश-प्रेम की भावना से ओत-प्रोत है और मैं अपनी योग्यता और कौशल के द्वारा देश को अपनी सेवाएँ अर्पित करने की भावना रखता हूँ ।

मैं प्रशासनिक अधिकारी बनने की तैयारी में जुटा हुआ हूँ । मैं देश में व्याप्त असमानता और अन्याय को समाप्त करने के प्रयासों के रूप में देश के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करुँगा । किसी प्रकार के राजनैतिक और सामाजिक प्रपंचों से मुक्त आधुनिक एवं वैज्ञानिक कुशलताओं पर आधारित हमारा देश इक्कीसवीं सदी में आगे बढ़ेगा । मैं पूरे मन से इस ओर प्रयासरत रहूँगा ।अपने देश से अशिक्षा की समस्या को समाप्त करने के लिए मैं आरंभिक शिक्षा को अनिवार्य घोषित कर दूँगा । शिक्षा के सार के साथ-साथ मैं नैतिक मूल्यों, सामाजिक उन्नति, अस्पृश्यता निवारण, अंधविश्वासों एवं रूढ़ियों की समाप्ति और राष्ट्रीय एकता पर बल दूँगा । किताबी अध्ययन के अलावा मैं खेल तथा अन्य गतिविधियों पर भी जोर दूँगा ताकि हमारे युवक-युवतियों में स्वस्थ खेल-भावना का प्रसार होनिर्धन वर्ग को सभी आवश्यक-सुविधाएँ उपलब्ध हों, यह मेरा मुख्य उद्देश्य होगा । लोगों के मन से सामाजिक कुरीतियों और बंधनों का निवारण करने में सफल होने पर ही मेरा जीवन सार्थक होगा । सामान्य जीवन में स्वास्थ्य, स्वच्छता और सफाई आवश्यक है । मैं आधुनिक तकनीक के लाभों को अपने देशवासियों को पहुँचाने का प्रयास करूँगा ।

तत्पश्चात, लोगों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति पूर्ण सचेत होना चाहिए । कर्तव्य भावना के बिना अधिकार की मांग निरर्थक है । यदि इस समस्या का समाधान कर लिया जाए, तो देश की कई समस्याएं अपने आप हल हो जाएँगी क्योंकि आज व्यक्ति अपने अधिकारों की कामना तो करता है, लेकिन कर्तव्य नहीं निभाना चाहता ।

यदि समाज में कर्तव्य-भावना का प्रसार हो जाएगा, तो हिंसा, असन्तोष, लूटमार, हत्याओं की घटनाएँ कम हो जाएंगी । मैं इस उद्देश्य की प्राप्ति की ओर प्रयासरत रहूँगा । यदि मैं अपने जीवन-काल में ही इन लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो जाऊँ, तो अपने जीवन को धन्य समझूँगा ।

Answered by crkavya123
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“जीवन में देशसेवा का महत्त्व"

लोगों के मन में देशभक्ति की भावना विद्यमान है और यह लोगों के देश के प्रति असीम प्रेम और समर्पण की भावना को दर्शाता है। दूसरे शब्दों में, देशभक्त वह व्यक्ति है जो निष्ठावान रहकर अपनी मातृभूमि और उसके लोगों और राजनीतिक व्यवस्था के विकास के लिए काम करता है। हालाँकि, देशभक्ति दुनिया में सभी प्रकार के प्रेम से अधिक है। देशभक्ति लोगों या सत्ता से जुड़े व्यक्तियों की बातों को मानने के बारे में नहीं है, बल्कि यह किसी राजनीतिक नेता या सत्ता की ओर ध्यान आकर्षित करने के बजाय देश और उसकी राजनीतिक व्यवस्था के प्रति वफादारी दिखाती है। प्रत्येक देश के नागरिकों के मन में अपने देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने की भावना होती है।सेना में शामिल होना इस लक्ष्य को पूरा करने का एक तरीका है, लेकिन यह केवल एक ही नहीं है। एक व्यक्ति अपने कौशल, रुचियों और योग्यता के आधार पर विभिन्न प्रकार के अतिरिक्त तरीकों से देश के विविध विकास में योगदान दे सकता है। मेरे मन में भी देशभक्ति की भावना उमड़ रही है, और मैं अपने देश की सेवा करने के लिए अपनी क्षमताओं और कौशल का उपयोग करने के लिए प्रेरित महसूस करता हूं।

मैं अपने प्रशासनिक अधिकारी प्रशिक्षण का उपयोग कर रहा हूँ। देश में व्यापक अन्याय और असमानता को मिटाने का प्रयास करके, मैं राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करूंगा। समकालीन और वैज्ञानिक ज्ञान के आधार पर और बिना किसी राजनीतिक या सामाजिक मुद्दों के, हमारा देश इक्कीसवीं सदी में आगे बढ़ेगा। मैं ऐसा करने की पूरी कोशिश करूंगा।मैं इसे करने की कोशिश में अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा। मैं अपने देश में निरक्षरता के मुद्दे को हल करने के लिए बुनियादी शिक्षा को आवश्यक बनाऊंगा। नैतिक आदर्शों, सामाजिक उन्नति, अंधविश्वासों और रीति-रिवाजों के उन्मूलन और राष्ट्रीय एकता के साथ-साथ मैं शिक्षा के महत्व पर भी जोर दूंगा। मेरा प्रमुख लक्ष्य किताबों के अध्ययन के अलावा खेल और अन्य गतिविधियों पर जोर देना होगा ताकि हमारे युवाओं में खेल भावना विकसित हो और सभी आवश्यक संसाधनों तक उनकी पहुंच हो। यदि मैं लोगों को सामाजिक कुरीतियों और बंधनों से मुक्त करने में सफल हो जाऊँगा तभी मेरा जीवन सार्थक होगा। दैनिक जीवन में साफ-सफाई, साफ-सफाई और अच्छा स्वास्थ्य महत्वपूर्ण हैं।मैं समकालीन प्रौद्योगिकी के लाभों को अपने साथी नागरिकों तक पहुँचाने का प्रयास करूँगा।

उसके बाद, सभी को अपने दायित्वों के बारे में पूरी तरह से अवगत होना चाहिए। दायित्व की भावना के बिना अधिकारों की मांग करना व्यर्थ है। अगर यह मसला सुलझ गया तो देश के और भी कई मसले भी फौरन सुलझ जाएंगे क्योंकि आज का समाज अपने अधिकार चाहता है, कर्तव्य नहीं।

अगर पूरे समाज में कर्तव्य की भावना विकसित हो जाए तो हिंसा, असंतोष, लूटपाट और हत्याओं में कमी आएगी। मैं इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम करना जारी रखूंगा। मैं अपने जीवन को धन्य मानूंगा यदि मैं अपने जीवनकाल में इन लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम हूं।

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